रेलवे भारत सरकार का सबसे प्रतिष्ठित उद्दम है और दुनिया में सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क के लिए जाना जाता है। लेकिन भ्रष्ट कर्मचारियों की वजह से यह भी लुट-खसोट का अच्छा केंद्र बना हुआ है।
रेलवे कर्मचारियों की छुछुंदरपना तो रूकने का नाम ही नहीं ले रहा है। अभी हाल ही में (५ सितम्बर २०१४) मेरे पिता जी पटना जंक्शन पर पटना से आनंद विहार के लिए दो टिकट लिया। टिकट लेने के बाद जब ट्रेन में बैठ गए, तब बकाया राशि देखा तो बीस रुपए कम था। ऐसा मेरे भतीजे और मेरे साथ भी हो चुका है। जब मैंने टिकट खिड़की पर बैठे कर्मचारी से कड़ा रुख अपनाते हुए पूछा १० रुपए ज्यादा क्यों लिया है, तो झट से उसने १०...
more... रुपए वापस कर दिया।
ऐसा वो तभी करते हैं जब टिकट के लिए टिकट रकम से अधिक रकम यात्री द्वारा दिया जाता है, यानी खुदरा पैसे न रहने के कारण २००, ३०० या ५०० तक के नोट यात्री देते हैं। जब टिकट और शेष राशि हाथ में थमाया जाता है तो उसमे १ टिकट पर १० रुपए ज्यादा जोड़कर लिया जाता है, यानी पाँच टिकट लिया तो ५० (पचास) रुपए ज्यादा ले लिया जाता है। टिकट खिड़की पर बैठे कर्मचारी को बोला जाता है तो उनका कहना होता है कि सुपरफास्ट का चार्ज लिया गया है, जब कि सुपरफास्ट का चार्ज पहले से ही टिकट में जोड़ा गया होता है।
रेलवे कर्मचारियों की इस तरह का ओछापन बिलकुल भी शोभनीय नहीं है। इस प्रकार से १०-१० रुपए इकट्टा कर - करके दिनभर में अच्छी कमाई कर लेते हैं। फिर वो सरकार से वेतन किस काम के लिए लेते हैं। रेलवे जैसे प्रतिष्ठित नौकरी करने के बाद भी वो संतुष्ट नहीं हैं, तो फिर आम जनता की क्या हालत होगी। इस तरह से तो सड़कों पे भीख मांग रहे भीखमंगे अच्छे हैं जिनके पास नौकरी व काम न होने के कारण ऐसा करते हैं।
अच्छे दिन तो तभी आएंगे जब इन दरिद्रों को सजा मिले।