गुलाब जामुन हमेशा से ही सभी की पसंद होते हैं, लेकिन बात यदि उरई रेलवे स्टेशन पर मिलने वाले गुलाब जामुन की हो तो क्या कहने। कानपुर के उरई रेलवे स्टेशन से गुजरने वाला शायद ही कोई ऐसा यात्री होगा, जिसने मिट्टी के बर्तन में मिलने वाले गुलाब जामुन का स्वाद नहीं चखा हो।
उरई रेलवे स्टेशन के गुलाब जामुन यात्रियों के लिए बेहद खास होते हैं। अपनी गुणवत्ता के लिये पहचान रखने वाले गुलाब जामुन बहुत पहले से मशहूर रहे हैं। स्थानीय निवासी मोहम्मद मुशीर अख्तर बताते हैं कि उनके पूर्वजों के अनुसार उरई रेलवे स्टेशन पर आजादी से पहले गुलाब जामुन बिकते थे।
उन्होंने...
more... बताया कि साल 1936-37 में हलवाई शंकर ठेकेदार ने उरई रेलवे स्टेशन पर गुलाब-जामुन बनाकर बेचने की शुरूआत की। उस वक्त रेलवे स्टेशन जैसी जगह पर गुलाब-जामुन बेचना अलग तरह का पहला प्रयोग था। अंग्रेजों के जमाने में झांसी से आने वाली ट्रेन उरई तक आती थी। फिर, यहीं से वापस झांसी लौट जाती थी। वहीं, कानपुर से आनी वाली टेन उरई तक होकर वापस लौट जाती थी।
उस वक्त भीड़ कम होती थी, लेकिन रेलवे स्टेशन पर गुलाब जामुन बेचने का यह काम बेहद मशहूर हो गया। तब से लेकर आज तक यहां के गुलाब जामुन दूर-दूर से यात्री जरूर खाना चाहते हैं। नया पटेल नगर निवासी पप्पू सेठ बताते हैं कि भले ही अब गुणवत्ता थोड़ी कम हो गई हो, लेकिन फिर भी मिट्टी के बर्तन में बिकने वाले गुलाब जामुन आज भी लोगों में मशहूर हैं। अन्य सामान्य जगह की तरह की यह गुलाब-जामुन उतने बड़े होते हैं, लेकिन रेलवे स्टेशन पर बिकने वाले इतिहास की वजह से यह मशहूर है।