प्रयागराज एक्सप्रेस के यात्रा की कहानी,इनके ठहरावों की ज़ुबानी👇👇
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बहुत कर लिया आराम चलो करें कुछ काज,
इसी काज को पूरा करने के लिए आइए चलें इलाहाबाद In प्रयागराज,
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यूं...
more... तो कुछ लोग अकड़ने के बाद बन जाते हैं भीगी बिल्ली,
पर मुझे जिस स्टेशन पहुंचना था वो थी नई दिल्ली,
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अपनी ट्रेन में देखकर 3 फेज़र हो गया दिल आबाद,
क्योंकि उस 3 फेज़र का मालिक था ग़ाज़ियाबाद,
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स्टेशन से ट्रेन के चलते ही लगने लगा कि कहीं अधिक गति से पटरियां ना हो जाये बर्बाद,
इसी उधेड़ बुन में मैं आया मेरे पहले पड़ाव ग़ाज़ियाबाद,
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ग़ाज़ियाबाद से चलते ही कुछ लोग दौड़ते दौड़ते ट्रेन में गए चढ़,
जबतक की कुछ भीड़ कम होती हम आ गए हमारे दूसरे पड़ाव अलीगढ़,
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ट्रेन की अत्यधिक गति से मेरा मन डर के मारे डोला,
पर मुझे शांति मिली तब जब आया मेरा तीसरा पड़ाव टूंडला,
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"सामने ये कौन आया दिल में हुई हलचल",
इसी पहेली को सुझाते हुए हम आ गए हमारे चौथे पड़ाव कानपुर सेंट्रल,
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कानपुर से छूटते ही आने लगी मुझे नींद भरपूर,
पर जब थोड़ी देर सोने के बाद आंख खुली तो आ गया था हमारा पांचवा पड़ाव फतेहपुर,
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सोते वक्त सपनों में था मैं उड़ता पंछी आज़ाद,
पर जब सुबह आंख खुली तो मैं पहुंच गया था मेरे छठे और आखिरी पड़ाव इलाहाबाद😊