पदातिक एक्सप्रेस- सियालदह सेन्यू जलपाईगुड़ी के बीच चलने वाली दार्जिलिंग मेल के बाद एक और ट्रेन। मैं सुबह सुबह अपने साथी अनवारुल हक के साथ मालदा टाउन स्टेशन पर 12377- पदातिक एक्सप्रेस का इंतजार करता हूं। पर इंतजार कहां। ट्रेन का सुबह 5.40 पहुंचने और 5.45 छूटने का समय है। लेकिन ट्रेन तो आधा घंटे पहले आकर प्लेटफार्म पर लग चुकी है। बीच के एसी कोच के सामने भारी सुरक्षा है।
टीटी बाबू बताते हैं कि जनरल डिब्बा पीछे हैं। एक दिन पहले एक बंगाली बाला ने बताया था कि ट्रेन में काफी भीड़ होती है। हमें चूंकि न्यू जलपाईगुड़ी तक ही जाना था इसलिए चार घंटे के सफर के लिए आरक्षण नहीं कराया। पर हमें जनरल डिब्बे में जगह आसानी...
more... मिल गई। पदातिक का जनरल डिब्बा, एक दम साफ सुथरा। हर डिब्बे में मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट, सारी बत्तियां ठीक ठाक। यहां तक की जनरल डिब्बे के टायलेट में डस्टबिन लगे हुए। काश सभी ट्रेनों का जनरल डिब्बा ऐसा ही होता। पूर्व रेलवे को ऐसी सफाई और इंतजाम के लिए धन्यवाद। पदातिक एक्प्रेस का नाम बांग्ला के प्रसिद्ध कवि सुभाष मुखोपाध्याय कृति - पदातिक के नाम पर रखा गया है।
पदातिक एक्सप्रेस कोलकाता से न्यू जलपाईगुड़ी तक जाने के लिए बेहतरीन ट्रेन है। हालांकि अब ये बदले नंबर के साथ न्यू कूचबिहार तक जाती है। पदादिक पहली बार 4 अक्तूबर 2009 को चली थी। इसका नाम ममता बनर्जी की साहित्यिक अभिरूचि का परिचायक है। तो बंगाल के लोगों की यह महबूब ट्रेन है। 2010 के रेल बजट में इसे दैनिक ट्रेन घोषित किया तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने। संयोग से 29 दिसंबर की सुबह जब हम इस ट्रेन से सफर कर रहे थे तो इसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी अपने लाव लश्कर के साथ जा रही थीं। वे किशनगंज में उतर गईं. यहां से उन्हें उत्तर और दक्षिण दिनाजपुर के दौरे पर जाना था। पदातिक अपने समय पर न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन पहुंचती है। अब इस ट्रेन को न्यू अलीपुर दुआर तक विस्तार की मांग हो रही है।