युद्ध में जीतने वाले योद्धा को जो खुशी मिलती है, वही खुशी आज मुझे आईआरसीटीसी से दीवाली के लिए टिकट आरक्षित कराने में मिली। जिस तरह युद्ध में योद्धा अपने त्वरित बुद्धि का इस्तेमाल करता है, ठीक उसी तरह आईआरसीटीसी से टिकट आरक्षित कराने में करना पड़ता है, फिर भी ज्यादातर मामलों में तो निराशा ही हाथ लगती है। दरअसल, ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ कि पिछले साल ठीक इसी तरह मैंने दीवाली के एक दिन पहले के लिए ऑनलाइन टिकट आरक्षित करना चाहा था, किन्तु दलालों की सक्रियता की वजह से 8 बजकर 4-5 सेकंड पर भी मैंने सारे टिकट प्रतीक्षासूची में पाया था; इस वजह से मुझे दीवाली में साधारण डिब्बों में सफर करना पड़ा था। लेकिन इस बार मैंने 8 बजकर 1 मिनट पर अपना सम्पुष्ट टिकट प्राप्त किया है, इसके लिए माननीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु जी से आभार प्रकट कर रहा हूँ।
अगर...
more... इसी तरह भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के प्रति सख्ती बरती गयी तो निश्चित ही वो दिन दूर नहीं जब फिर से यह देश रामराज्य जैसा कहलाने लगेगा।
मेरा देश बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है...
एक संतुष्ट यात्री
संजय साह