मुझे एक बात समझ नही आ रही आखिर गाजीपुर को ट्रेन मिल रही हैं तो लोगो को किस बात की चूल मची हुयी है. आखिर कौन सी समस्या है गाजीपुरवासियो से और मनोज सिन्हा से कुछ को. 2003 मे शिवगंगा चली बनारस से, गरीब रथ चली, आनंद विहार -मऊ चली, कैफियत चली, महामना चली, मंडुआडीह भी चल गयी तब किसी को चूल नही मची की इन ट्रेन को गाजीपुर या छपरा बलिया से चलाया जाय. मै देख रहा हूँ 14 अप्रैल 2016 जबसे सुहैलदेव चलना शुरू हुयी हैं सारे बौखला गये हैं.
मै मानता हूं कि गाजीपुर बी श्रेणी का स्टेशन है पर अरे चूल वालो जब तक किसी स्टेशन पर ट्रेन नही बढेगी, तब तक सवारिया और इनकम...
more... कैसे बढ जायेगा वहा का आप आज मुगलसराय वाराणसी से ट्रेन कम कर दो देखो इनकम कहा जाता है वहा का. एक साल पहले सिटी से ट्रेन के नाम पर बस लोग सारनाथ, सदभावना और पैसेंजर को जानते थे वहा के. सेनानी, हरिहर, गंगा कावेरी, जनसाधारण, गयानगंगा तो बस नाम का आती जाती हैं .मानता हूं कि मंत्री होने के नाते गाजीपुर के अलावा भी हर जगह का ध्यान रखना चाहिए पर कभी आपने अपने यहा के सांसद, विधायक, सुरेश प्रभु, राजेन गोहेन से शिकायत की कि हमारे यहाँ से ट्रेन दो. कयो मनोज सिन्हा ने ही पूरे देश और रेलवे का ठेका ले रखा है? भाईयो हमारे देश के नेताओ की असलियत तो आप सब जानते हो तो फिर जब कोई नेता कम से कम अपने जिले का ही विकास करने मे लगा है तो आप लोग को उसको समर्थन करना चाहिए न कि अवहेलना .मै किसी नेता या पार्टी का समर्थन नही करता पर जो सही है वो है. रही बात सीट खाली रहने की तो गर्मी की छुट्टियों, लगन, दीवाली, होली को छोड़कर पूरे साल आपको किसी भी ट्रेन मे सीट मिलेगी. कुछ मे कम तो कही ज्यादा