सहरसा। इन दिनों प्रतिदिन हजारों मजदूरों का दल पंजाब सहित अन्य जगहों पर रोजगार की तलाश में जा रहे हैं। सहरसा से अमृतसर के बीच चलनेवाली जनसेवा एक्सप्रेस में मजदूरों को बैठने तक की जगह नहीं मिल पाती है। यात्रियों की भीड़ का यह आलम है कि प्रतिदिन हजारों मजदूरों को ट्रेन में चढ़ने के लिए जगह नहीं मिलती है। नतीजन मजदूर यात्रियों को ट्रेन के इंतजार में प्लेटफॉर्म पर दो दिनों से रुकना मजबूरी बनी हुई है। सहरसा स्टेशन पर कहीं बैठने तक की जगह लोगों को नहीं मिल रही है। सहरसा स्टेशन पर मजदूरों का मेला लगा हुआ है। सहरसा स्टेशन से प्रतिदिन 20 हजार से अधिक टिकट कट रहे हैं। जबकि सहरसा स्टेशन पर औसतन प्रतिदिन 10 हजार रेल टिकट कटता था। लेकिन दशहरा बीतने के बाद ही मजदूरों का पलायन शुरू हो गया। जिससे ट्रेनों में बैठने तक की जगह नहीं मिल रही है।
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more... को कटे 40 लाख रुपये के टिकट
सोमवार को करीब 40 लाख रुपये का 20 हजार रेल टिकट काटे गए। रेल अधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार पिछले चार दिनों में 53 हजार मजदूरों का पलायन कोसी क्षेत्र से पंजाब सहित अन्य जगहों के लिए हुआ। पस्तपार के रहने वाले सज्जन ने बताया कि वह दो दिन से यहां बैठै हुए हैं। ट्रेन में चढ़ने की जगह नहीं थी। वा¨शग पिट से ही ट्रेन भरकर आती है। चंडीगढ़ जाने के लिए सूद पर एक हजार रुपये लेकर आए थे। दो दिन में 300 रुपये खाने में ही खर्च हो गए हैं।
रोज विलंब से खुलती है जनसेवा
सहरसा से अमृतसर के बीच चलने वाली जनसेवा एक्सप्रेस इन दिनों काफी विलंब से आ-जा रही है। सहरसा से जनसेवा 8:40 बजे सुबह के बजाय सुबह 10 बजे के बाद ही खुल रही है। कई बार तो सुबह के बदले रात के सात बजे जनसेवा सहरसा से खुली। इतना ही नहीं अमृतसर से सहरसा आने वाली जनसेवा दिन के पहुंचने के बजाय रात में सहरसा पहुंचती।
विलंब से चल रही स्पेशल ट्रेन
सहरसा से आनंद विहार के बीच चलने वाली स्पेशल ट्रेन सोमवार की रात को पहुंचने के बजाय मंगलवार की शाम सहरसा पहुंची। हालांकि रेल यात्रियों की बढ़ती भीड़ को लेकर सहरसा से अंबाला के बीच रात के सात बजे स्पेशल ट्रेन चलेगी, जिसकी आधी बोगी तो सहरसा पहुंच चुकी है। शेष बोगी जनहित से आने के बाद स्पेशल अंबाला के लिए खुलेगी। मजदूरों की बढ़ती भीड़ को लेकर ही सात अक्टूबर को स्पेशल ट्रेन चलेगी।
खुले रहते हैं चार टिकट काउंटर
प्रतिदिन हजारों मजदूरों के टिकट के अलावा सामान्य पैंसेजरों को भी टिकट के लिए मारामारी करना पड़ती है। खासकर राज्यरानी एक्सप्रेस के लिए टिकट कटाने में यात्रियों को काफी मुसीबत झेलनी पड़ती है। ए ग्रेड स्टेशन पर तीन-चार अनारक्षित टिकट काउंटर कार्यरत है। ऐसे में एक दिन में बीस हजार टिकट काटना कितना मुश्किल काम होता होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। यात्रियों की बढ़ती भीड़ को लेकर कम से कम दस टिकट काउंटर खोले जाने की जरूरत है।
भीड़ को किया जा रहा नियंत्रित
स्टेशन पर मजदूरों की बढ़ती भीड़ को लेकर ही टिकट काउंटर पर हमेशा आरपीएफ जवानों की ड्यूटी रहती है, जिससे यात्रियों को पंक्तिबद्ध टिकट कटाने में सहूलियत होती है। हालांकि स्पेशल ट्रेन चलने से यात्रियों की भीड़ धीरे-धीरे कमेगी।