चौंकिए नहीं, लखनऊवासियों के लिए दिल्ली दूर वाली की कहावत जल्द ही कल की बात हो जाएगी। यहां से दिल्ली का रेल सफर महज 3-4 घंटे में और तो कानपुर 45 मिनट में पहुंच जाएंगे। मिशन रफ्तार के तहत दिल्ली से हावड़ा व दिल्ली से मुंबई रूट पर ट्रेनों की औसत स्पीड 160-200 किलोमीटर प्रति घंटा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी है। इसी क्रम में वित्तीय वर्ष में टोकन अमाउंट के तौर पर एक करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
रेलवे में वर्ष 2016-17 में मिशन रफ्तार की शुरुआत की थी। इसमें देश में छह मुख्य रूटों का चयन किया गया था। जहां ट्रेनों की औसत रफ्तार को दोगुना करने की योजना बनाई गई थी। उत्तर...
more... रेलवे के सीनियर अफसरों का कहना है कि मिशन रफ्तार के तहत दिल्ली-हावड़ा, हावड़ा-चेन्नई, चेन्नई-मुंबई, दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-चेन्नई व हावड़ा-मुंबई रूटों पर ट्रेनों की स्पीड बढ़ाई जाएगी।
मिशन रफ्तार के अंतर्गत दिल्ली से मुंबई के 1,400 किमी ट्रैक को विकसित करने में 11,189 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। जबकि दिल्ली-हावड़ा रूट (1,447 किमी) पर सात हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। रेलवे यह धनराशि अतिरिक्त बजट संसाधनों (ईबीआर) के जरिये हासिल करेगा। इन रूटों पर ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाकर 160 से 200 किमी प्रति घंटा तक कर दिया जाएगा।
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बता दें, वर्ष 2016 में रेलवे ने गतिमान एक्सप्रेस का सफल संचालन कर मिशन रफ्तार को गति दे दी है। दिल्ली से आगरा के बीच की 188 किमी की दूरी यह ट्रेन महज एक घंटे 40 मिनट में पूरी कर रही है। इसी तरह दिल्ली-हावड़ा रूट पर काम पूरा होने से यात्रियों को काफी समय की बचत होगी। वहीं रेलवे भी हवाई जहाज से यात्रा करने वाले पैसेंजरों को अपनी आकर्षित कर सकेगा। यही नहीं, रेलवे की योजना है कि इन रूटों पर चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों की जगह मेमू-डेमू ट्रेन चलाई जाए, जिससे अन्य ट्रेनों की रफ्तार पर कोई प्रभाव न पड़ सके।
छह रूटों पर चलती हैं 52 फीसदी सवारी गाड़ियां
दिल्ली, हावड़ा, मुम्बई, चेन्नई के छह रूटों पूरे रेलवे का 16 प्रतिशत नेटवर्क कवर करते हैं। इन रूटों पर 58 फीसदी मालगाड़ी और 52 प्रतिशत सवारी गाड़ियां चलती हैं। ऐसे में मिशन रफ्तार से इन ट्रेनों का संचालन बेहतर हो जाएगा। वहीं रेलवे की आय में कई गुना बढ़ोतरी हो सकेगी।
वर्तमान में मेल-सुपरफास्ट की औसत स्पीड 55 किमी प्रति घंटा
मौजूदा समय में इन छह रूटों पर मालगाड़ी की औसत रफ्तार 25-27 किमी प्रतिघंटा है। जबकि मेल व सुपरफास्ट एक्सप्रेस 55 किमी प्रतिघंटा और शताब्दी-राजधानी जैसी प्रीमियम ट्रेनें 80-85 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से संचालित होती हैं। आने वाले समय में इन तीनों श्रेणियों के ट्रेनों की औसत रफ्तार में और 25 किमी प्रति घंटे की वृद्धि की तैयारी है।
लखनऊ-दिल्ली ट्रैक के किनारे 400 करोड़ रुपये से लगेगी बाड़
लखनऊ से दिल्ली के बीच करीब पांच सौ किमी का रेलवे सफर है। मिशन रफ्तार के तहत जब इस रूट पर ट्रेनों की स्पीड बढ़ाई जाएगी तो ट्रैक के किनारे बाड़ लगाई जाएगी। इस पर 80 लाख प्रति किमी का खर्च आएगा। यानी पांच सौ किमी पर चार सौ करोड़ रुपये का खर्च। वहीं, फेंसिंग व अन्य मेंटेनेंस के चलते मिशन रफ्तार में एक किमी ट्रैक पर आठ से नौ करोड़ रुपये का खर्च आने की संभावना है।