मंडुवाडीह से पटना के लिए चलाई जाने वाली इंटरसिटी एक्सप्रेस कई खूबियों वाली है। महामना एक्सप्रेस की तर्ज पर इसके कोच में तस्वीरों के जरिये भारत की विविधता और संस्कृतियों को दर्शाया गया है। मेघालय के खासी नृत्य से लेकर राजस्थान की पारंपरिक कलाकृतियों को जगह दी गई है।
पाषाण काल के दौरान भित्ती चित्रों के साथ ही पर्यावरण के प्रति जागरुकता के संदेश की तस्वीरें भी लगी हैं। अलग-अलग कोच में अलग-अलग प्रांतों की विशेषताओं की तस्वीरें लगाई गई हैं। ट्रेन के सभी कोच में बायो टॉयलेट हैं। इससे पटरियां...
more... गंदी नहीं होंगी। कोच में डस्टबिन और अग्निशमन यंत्र रखे गए हैं। डस्टबिन खुला नहीं होगा।पुराने डिब्बों से बने हैं कोच
ट्रेन के सभी 11 चेयरकार और दो जनरल कोच पुराने डिब्बों की मरम्मत कर बनाए गए हैं। सभी कोच भोपाल स्थित सवारी डिब्बा पुनर्निर्माण कारखाने से निर्मित हैं। इसकी एक मात्र एसी चेयरकार बोगी भी पुरानी है। मंडुवाडीह यार्ड में शनिवार शाम तक इसकी सीटों के नवीनीकरण का काम चलता रहा। चेयरकार की हर सीट के सामने दूसरी सीट से लगी एक टेबलनुमा प्लेट लगी है।सभी कोच में एलईडी डिस्प्ले है। इसके जरिये ट्रेन कहां पहुंची, कौन सा स्टॉपेज है, यह जान सकेंगे। इसके अलावा टॉयलेट खाली न रहने पर इसके ऊपर रेड सिग्नल का सिंबल दिखेगा। खाली रहने पर ग्रीन सिग्नल होगा।