- कोहरे के कारण बीते साल 8 से 10 घंटे की देरी से भोपाल पहुंचती थीं ट्रेन- इस डिवाइस से लोको पालयटों को सिग्नल की सही जानकारी मिल जाती हैभोपाल। नवदुनिया प्रतिनिधिदिल्ली से भोपाल तक शुक्रवार सुबह घने कोहरे के बावजूद यात्रियों को बीते साल की तरह 10 घंटे ट्रेनों का इंतजार नहीं करना पड़ा। ये ट्रेनें एक से डेढ़ घंटे की मामूली देरी से भोपाल, बीना, इटारसी स्टेशन पहुंच गईं। यात्री परेशान नहीं हुए और वे जल्दी अपने निर्धारित स्टेशन तक पहुंच गए। जबकि सुबह 7.30 बजे तक घना कोहरा था। दृश्यता महज 100 मीटर रह गई थी। सामने कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। फिर भी ट्रेनें फर्राटे से दौड़ी। यह सब फॉग सेफ डिवाइस की वजह से संभव हुआ। ये डिवाइस घने कोहरे की स्थिति में लोको पायलटों को सिग्नल की स्थिति से अवगत कराती है। इसके कारण ट्रेनें अपनी तय रफ्तार से दौड़ती रहती हैं। बीते साल...
more... से ये डिवाइस लोको पायलटों को बांटी गई थीं।बता दें कि कोहरे के दौरान दिल्ली समेत समूचे उत्तर भारत की तरफ से आने वाली तमिनाडु एक्सप्रेस, कर्नाटक एक्सप्रेस, कामायनी एक्सप्रेस, पुष्पक एक्सप्रेस, दक्षिण, कालका, पठानकोट, कुशीनगर एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें 8 से 10 घंटे की देरी से आती थीं। लेकिन शुक्रवार तड़के ये ट्रेनें भोपाल व हबीबगंज रेलवे स्टेशन महज एक से डेढ़ घंटे की देरी से पहुंच गईं। भोपाल से गुजरने वाली कोई भी ट्रेन 8 या 10 घंटे लेट नहीं हुई। यात्री महेश सावरीकर ने बताया कि सुबह वेपुष्पक एक्सप्रेस से खंडवा जाने के लिए भोपाल स्टेशन पहुंचे थे, जिस हिसाब से कोहरा था उससे लग रहा था कि ट्रेन दोपहर में ही आएगी, लेकिन पुष्पक एक्सप्रेस सुबह 5.50 बजे के स्थान पर 54 मिनट की देरी से 6.42 बजे भोपाल पहुंच गई थी। इस समय घना कोहरा था। सेफ पᆬॉग डिवाइस आने वाले समय में भी कोहरे के दौरान ट्रेन परिचालन में मदद करेंगी।Posted By: Nai Dunia News Network #fas fas a fsa
- कोहरे के कारण बीते साल 8 से 10 घंटे की देरी से भोपाल पहुंचती थीं ट्रेन
- इस डिवाइस से लोको पालयटों को सिग्नल की सही जानकारी मिल जाती है
भोपाल। नवदुनिया प्रतिनिधि
दिल्ली से भोपाल तक शुक्रवार सुबह घने कोहरे के बावजूद यात्रियों को बीते साल की तरह 10 घंटे ट्रेनों का इंतजार नहीं करना पड़ा। ये ट्रेनें एक से डेढ़ घंटे की मामूली देरी से भोपाल, बीना, इटारसी स्टेशन पहुंच गईं। यात्री परेशान नहीं हुए और वे जल्दी अपने निर्धारित स्टेशन तक पहुंच गए। जबकि सुबह 7.30 बजे तक घना कोहरा था। दृश्यता महज 100 मीटर रह गई थी। सामने कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। फिर भी ट्रेनें फर्राटे से दौड़ी। यह सब फॉग सेफ डिवाइस की वजह से संभव हुआ। ये डिवाइस घने कोहरे की स्थिति में लोको पायलटों को सिग्नल की स्थिति से अवगत कराती है। इसके कारण ट्रेनें अपनी तय रफ्तार से दौड़ती रहती हैं। बीते साल से ये डिवाइस लोको पायलटों को बांटी गई थीं।
बता दें कि कोहरे के दौरान दिल्ली समेत समूचे उत्तर भारत की तरफ से आने वाली तमिनाडु एक्सप्रेस, कर्नाटक एक्सप्रेस, कामायनी एक्सप्रेस, पुष्पक एक्सप्रेस, दक्षिण, कालका, पठानकोट, कुशीनगर एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें 8 से 10 घंटे की देरी से आती थीं। लेकिन शुक्रवार तड़के ये ट्रेनें भोपाल व हबीबगंज रेलवे स्टेशन महज एक से डेढ़ घंटे की देरी से पहुंच गईं। भोपाल से गुजरने वाली कोई भी ट्रेन 8 या 10 घंटे लेट नहीं हुई। यात्री महेश सावरीकर ने बताया कि सुबह वेपुष्पक एक्सप्रेस से खंडवा जाने के लिए भोपाल स्टेशन पहुंचे थे, जिस हिसाब से कोहरा था उससे लग रहा था कि ट्रेन दोपहर में ही आएगी, लेकिन पुष्पक एक्सप्रेस सुबह 5.50 बजे के स्थान पर 54 मिनट की देरी से 6.42 बजे भोपाल पहुंच गई थी। इस समय घना कोहरा था। सेफ पᆬॉग डिवाइस आने वाले समय में भी कोहरे के दौरान ट्रेन परिचालन में मदद करेंगी।