जिस तरह रेलवे नहीं सभी गाड़ियों को एक ही आदेश में एक ही दिन में बंद कर दिया था उसी तरह रेलवे को चाहिए था कि सभी गाड़ियों को एक दिन नहीं तो कम से कम 1 हफ्ते के अंदर चला दिया जाता पहले की तरह लेकिन अभी तक सिर्फ वही गाड़ियां चलाई जा रही हैं जिनसे अमीरों को फायदा हो जैसे की राजधानी दुरंतो डबल डेकर एसी एक्सप्रेस आम आदमी की गाड़ियां बहुत कम चल रही है पैसेंजर ट्रेनों का चलने का अभी तक दूर-दूर तक कोई खबर नहीं है छोटे-छोटे स्टेशनों पर धूल जमा हो रखी है पता नहीं लोग क्या करना चाह रहे हैं और 1-1 ट्रेन ऐसे दे रहे हैं जैसे कि कोई बहुत बड़ा एहसान हमारे ऊपर कर रहे हो