पीलीभीत। तमाम अटकलों के बाद अब पीलीभीत टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में भी ब्रॉडगेज रेललाइन बिछाने का काम शुरू हो सकेगा। पीटीआर और कार्...
more... class="reversehighlighted">यदायी संस्था रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) ने आपसी समझौता कर लिया है। सुलहनामा भारत सरकार को भी भेजा गया है। अंडरपास, बैरीकेडिंग और ट्रेन स्पीड समेत कई बिंदुओं पर वार्ता हुई थी, दोनों में हुई सुलह के बाद नए साल में काम शुरू होने की उम्मीद है। हालांकि अभी आदेश का इंतजार है। शर्तों में वन्यजीवों का विशेष ध्यान रखने की बात कही गई है। पीलीभीत-लखनऊ की दूरी करीब 240 किलोमीटर है। इस रूट पर एक जून 2018 में आमान परिवर्तन का काम शुरू हुआ था। ब्रॉडगेज का काम कराने की जिम्मेदारी कार्यदायी संस्था आरवीएनएल को मिली थी। इसके बाद इस संस्था ने पहले चरण में लखनऊ से सीतापुर तक दूसरे चरण में सीतापुर से मैलानी तक का काम पूरा कर दिया। मैलानी से पीलीभीत का तीसरे चरण में काम शुरू हुआ था, जोकि तेजी के साथ चल रहा है। शाहगढ़ से पीलीभीत के बीच में करीब आठ किलोमीटर टाइगर रिजर्व का जंगल है। इस आठ किलोमीटर में आमान परिवर्तन के लिए कार्यदायी संस्था को वन्यजीवों की सुरक्षा के मद्देनजर वाइल्ड लाइफ से एनओसी प्राप्त करनी थी। कार्यदायी संस्था ने 2018 में एनओसी के लिए आवेदन किया था। पीटीआर के अधिकारियों ने आवेदन उच्चाधिकारियों को सौंपकर अपना पलड़ा झाड़ लिया था, जिसके बाद शाहगढ़-पीलीभीत के बीच पूरे 19 किलोमीटर में ही आमान परिवर्तन का काम रोक दिया गया।उधर, पीटीआर के जिम्मेदार वरिष्ठ अफसरों के निर्णय लेने की बात कहकर मामला लटका गए थे। मगर अब जानकारी यह है कि दोनों पक्षों ने आपस में बातचीत के बाद कई शर्तों पर सुलह कर ली है, जिससे एनओसी मिलने की इसी साल में उम्मीद जताई जाने लगी है। अफसरों का भी अनुमान है कि आदेश मिलते ही अगले साल में इस रेल मार्ग पर भी आमान परिवर्तन का काम पूरा कर लिया जाएगा। इन तीन शर्तों पर बनी सहमतिमैलानी रूट पर आठ किलोमीटर में टाइगर रिजर्व का जंगल आता है। 2018 में आवेदन करने के बाद भी वाइल्ड लाइफ से एनओसी नहीं मिली थी। इसके बाद कार्यदायी संस्था आरवीएनएल ने पीटीआर के अधिकारियों से वन्य जीवों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अंडरपास, बैरीकेडिंग और ट्रेन की स्पीड को लेकर अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा था। अब कार्यदायी संस्था और पीटीआर में पांच अंडरपास, जंगल एरिया में ट्रैक के दोनों बैरीकेटिंग, तीस किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से जंगल में ट्रेन दौड़ाने पर सहमति हुई है।<br />दो एनओसी मिल चुकीं हैं, एक मिलना बाकी<br />आमान परिवर्तन के दौरान पीलीभीत से लखनऊ तक ब्रॉडगेज का काम शुरू करने के लिए 2012 में अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के लिए आवेदन किया था। इसके बाद 2016 में जंगल, 2018 में पर्यावरण से संबंधित एनओसी मिल गई। इसके बाद पीटीआर के जंगल में वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर एनओसी नहीं मिल रही थी, जिस पर पीटीआर और कार्यदायी संस्था के बीच सहमति बन गई है। जल्द ही यह आखिरी एनओसी के मिलने की उम्मीद है।<br />एनटीसीए के डीआईजी पांच माह पहले कर चुके है निरीक्षण<br />एनओसी एनटीसीए को देनी है। इसको लेकर करीब पांच माह पूर्व एनटीसीए के डीआईजी निशांत वर्मा ने भी 11 जुलाई को माला रेंज में पहुंचकर अंडरपास निर्माण वाले स्थानों का गहनता से निरीक्षण किया। डीआईजी ने भी वन्यजीवों की सुरक्षा को देखते हुए अंडरपास को जरूरी बताया था। डीआईजी के दौरे के बाद माना जा रहा था कि रेलवे को जल्द ही एनओसी मिल सकेगी। अनापत्ति प्रमाण पत्र को लेकर उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। एनसीओ एनटीसीए (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉर्टी) से जारी होगी। <br />- नवीन खंडेलवाल, डिप्टी डायरेक्टर टाइगर रिजर्व<br />लखनऊ से मैलानी तक काम पूरा हो चुका है। मैलानी और शाहगढ़ के बीच भी काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। पीटीआर एरिया में पांच अंडरपास और ट्रैक के दोनों ओर जंगल एरिया में बैरीकेटिंग कराई जाएगी। इस पर सहमति बन चुकी है। मानकों का ध्यान रखा जाएगा। एनओसी अब कभी भी मिल सकती है। <br />- संजय सिंह, असिस्टेंट मैनेजर, आरवीएनएल पीलीभीत