श्रावस्ती। श्रावस्ती में रेल लाइन का सपना अभी साकार होने वाला नहीं है। जिले में रेल के लिए किया वादा पूरा होने की उम्मीद नहीं है। पिछले साल के बजट की ही तरह इस बार भी बजट में भी खलीलाबाद, बहराइच वाया भिनगा रेल लाइन को अमली जामा पहनाने के लिए पैसा नहीं मिला। इससे आम लोगों में नाराजगी है। बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र से पहली बार सांसद चुने गए पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी बाजपेयी ने बलरामपुर के तुलसीपुर से सिरसिया, नानपारा होते हुए लखीमपुर खीरी से पीलीभीत तक नई रेल लाइन बिछाने की मांग सदन में की थी। प्रधानमंत्री बनने के बाद अटल बिहारी बाजपेयी ने इंडोडच नेपाल लाइन बिछाने के लिए सर्वे भी करवाया था। हालांकि योजना को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। अटल जी के अलावा नाना जी देशमुख व एसआर किदवई ने भी रेल लाइन बिछवाने की मांग की थी।पूर्व सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ...
more... मोहम्मद खान ने भी बुढ़वल से कैसरगंज, जरवल, बहराइच व भिनगा होते हुए तुलसीपुर तक रेल लाइन बिछाने के लिए सदन में कई बार आवाज बुलंद की। हालांकि इस मामले में कोई सफलता नहीं मिल पाई। इसके बाद पूर्व सांसद डॉ. विनय कुमार पांडेय की मांग पर 10 मई 2013 को कांग्रेस की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बहराइच से गिलौला, इकौना भिनगा व बलरामपुर के लिए रेल लाइन निर्माण शुरू कराने का आश्वासन दिया था। इसके बाद 2014 में भिनगा में श्रावस्ती को रेल से जोड़ो संघर्ष समिति गठित हुई।इसके पदाधिकारियों ने भिनगा से लेकर दिल्ली के जंतर मंतर तक जिले को रेल लाइन से जोड़ने के लिए आंदोलन किया। सांसद दद्दन मिश्र के नेतृत्व में समिति के पदाधिकारियों ने बलरामपुर रेल लाइन का संचालन शुरू करने के लिए तत्कालीन रेलमंत्री को ज्ञापन सौंपा था। समिति के पदाधिकारियों ने कई बार दिल्ली में रेल मंत्री व रेल राज्य मंत्री से मिल कर रेल लाइन बिछाने की मांग की थी। इसी मांग के बाद बजट 2018 के केंद्रीय बजट में खलीलाबाद बहराइच वाया भिनगा को मंजूरी देते हुए रेल लाइन सर्वे सहित भूमि अधिग्रहण के लिए बजट जारी किया गया था। इसके बाद 2019 में रेल मंत्रालय ने श्रावस्ती व बहराइच के डीएम को पत्र लिख कर सेटेलाइट सर्वे के आधार पर चिह्नित भूमि का ग्राम पंचायत वार नक्शा मांगा था। जिससे भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया आरंभ हो सके। इस पत्र के बाद प्रशासन ने नक्शा उपलब्ध करवा दिया लेकिन रेल मंत्रालय की ओर से यह परियोजना अधर में ही लटकी रही। पूरा वर्ष बीत जाने के बाद भी न तो भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रारंभ हुई, न ही इसके लिए भूमि का चयन ही किया गया। वहीं वर्ष 2020 व 2021 के बजट में इस परियोजना को तरजीह नहीं मिल सकी। खलीलाबाद बहराइच वाया भिनगा रेल लाइन के लिए बहराइच के आठ गांवों में कुल 242.50 एकड़, श्रावस्ती के 38 गांवों व दो नगरों में 535.50 एकड़ भूमि अधिग्रहित करने के लिए वर्ष 2019 में ही रेल मंत्रालय का पत्र डीएम को आया था। इसके लिए सारे नक्शे भी प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराए गए थे। लेकिन इसके बाद भी भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया अभी तक प्रारंभ नहीं हुई। श्रावस्ती के औरैया टिकई, तुरहनी बलराम, मोहरनिया, चौव्वा पुर पजावा, सोनवा, हुसैनपुर खुरहुरी, गिलौली, अकारा, नेवरिया, फतुहापुर, लखाही खास, खजुहा झुनझुनिया, नरायनपुर, जरकुशहा, पटना खरगौरा, गलकटवा, खैरीकला, पूरेखैरी, भिनगा खास, लक्षमनपुर इटवरिया, चकवा, रेहली विशुनपुर, बैरागीजोत, लखाही बेनीनगर, किशुनपुर रामनगर, पिपरहवा, बहादुरपुर, लक्ष्मनपुर गोड़पुरवा, गनेशपुर, सेमरी तरहर, एकघरवा, नारायनजोत, किड़िहौना, मनिकापुर कोडऱी, मझौवा सुमाल, इकौना, इकौना देहात, मोहम्मदपुर राजा, खरगौरा गनेश, राजगढ़ गुलहरिया से होते हुए रेल लाइन घुघुलपुर से बलरामपुर रेलवे स्टेशन को जोड़ेगी।जबकि बहराइच के नगरौर, अशोका, तुरैला, रेवली, इटोंझा, हटवा रायब, बरागुन्नू, मुसगढ़ा गांव जोड़े जाने थे। बलरामपुर के गांव दुलहिनपुर, जोरावरपुर, लालपुर जंगल, दुल्हापुर, फरेंदा, लुचुइया, गंगापुर, खरहरगड़ही, बहेरेकुइंया, हरबशपुर, रामपुर बनघुसरा, भवनियापुर, देवरिया, गनेशपुर, सेखुईया, चवईखुर्द, चवई बुजुर्ग, डोबाडाबर, विश्रामपुर, दारीचौरा, कपौवा शेरपुर, महमूदनगर, रैगांवा, बडहराकोट, पुरैनियाजाट, अमया देवरिया, जोगीवीर, सेखुईकस्बा, जुनैदपुर, लालगंज, मधपुर, हबीबपुर, चपरहिया, बक्सरिया, मिरजापुर, पिडरिया, पिपराराम, छितरपारा, पिडिय़ाखुर्द, मैनहा, ताराडीह, गोवर्धनपुर, बांकभवानी, मलमलिया, चिचुड़ी, सहंगिया, सेखुईकला, बंजरिया, बलुवा व जंगली का नक्शा उप मुख्य इंजीनियर गोरखपुर ने मांगा था। जिसे प्रशासन ने उपलब्ध करा दिया था। नई रेल लाइन (बड़ी लाइन) खलीलाबाद से शुरू होकर मेंहदावल, डुमरियागंज, उतरौला, श्रावस्ती, भिनगा और बहराइच तक बिछाई जानी थी। इसकी दूरी 240 किलोमीटर है। इस रेल लाइन को पूरा करने के लिए 2024-25 तक का लक्ष्य तय किया गया है। इसके लिए कैबिनेट ने वर्ष 2018 में ही 4940 करोड़ रुपये का बजट भी स्वीकृत कर दिया है। इसमें से दस करोड़ रुपये का बजट प्राप्त भी हो गए थे। इसके बाद 2020 व 2021 के बजट में इस परियोजना को आगे बढ़ाने का पैसा नहीं मिला।एडीएम योगानंद पांडेय ने बताया कि रेल मंत्रालय द्वारा सेटेलाइट सर्वे के आधार पर चिह्नित गाटा संख्या व ग्राम पंचायत का नक्शा मांगा गया था। जिसे पहले ही उपलब्ध कराया जा चुका है। इसके बाद की सारी प्रक्रियाएं रेल मंत्रालय को करनी थी।