Part-2/
प्रधानमंत्री ने दोहराया कि वर्तमान कोरोना महामारी के दौरान, हर जगह लोग 'योग' और 'आयुर्वेद' के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं और इसे जीवन के तरीके के रूप में अपनाते हैं। उन्होंने योग की "कम्युनिटी (लोगों), इम्युनिटी (प्रतिरक्षा) और यूनिटी (एकता) " के लिए वकालत की। उन्होंने कहा कि वर्तमान कोरोना महामारी के दौरान, योग बेहद महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि यह वायरस श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है। योग में, प्राणायाम के कई प्रकार हैं जो श्वसन तंत्र को मजबूत करते हैं और इसके लाभकारी प्रभाव को लंबे समय तक देखा जा सकता है।
इसके...
more... अलावा, प्रधानमंत्री ने लोगों से आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वीडियो ब्लॉग प्रतियोगिता 'माई लाइफ, माई योगा' के लिए अपने वीडियो साझा करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री मोदी ने सभी से इस प्रतियोगिता में भाग लेने, और आगामी अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का हिस्सा बनने का अनुरोध किया।
प्रधानमंत्री ने महामारी से निपटने में सरकार के प्रयासों की प्रशंसा की और यह साझा करने में गर्व महसूस किया कि आयुष्मान भारत ’योजना के लाभार्थी एक करोड़ से अधिक हो गए हैं। उन्होंने 'आयुष्मान भारत' के लाभार्थियों के साथ-साथ डॉक्टरों, नर्सों और चिकित्सा कर्मचारियों को भी बधाई दी जिन्होंने महामारी के दौरान रोगियों का इलाज किया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक तरफ हम कोरोनोवायरस से लड़ रहे हैं और दूसरी ओर चक्रवात अम्फान जैसी आपदाओं से भी। उन्होंने पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लोगों के साहस और बहादुरी की सराहना की जिसके साथ उन्होंने चक्रवात अम्फान से मुकाबला किया। उन्होंने इन राज्यों में किसानों को हुए नुकसान के प्रति सहानुभूति व्यक्त की और कहा कि ये लोग जिस कठिन परीक्षा से गुजरे और जिस तरीके से उन्होंने अपना धैर्य और दृढ़ संकल्प दिखाया, वह सराहनीय है।
श्री मोदी ने कहा कि चक्रवाती आपदा के अलावा, देश के कई हिस्से टिड्डियों के हमलों से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे सरकार संकट के दौरान लगातार काम कर रही है, ताकि पूरे देश में आम आदमी को आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना न करना पड़े। इस संकट के कारण किसानों की मदद और फसलों के नुकसान को कम करने के लिए केन्द्र से लेकर राज्य सरकारें, कृषि विभाग या प्रशासन तक, हर कोई आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने वर्तमान पीढ़ी को पानी बचाने के लिए अपनी जिम्मेदारी का एहसास कराने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने वर्षा जल को बचाने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि सभी को जल संरक्षण के लिए प्रयास करने चाहिए। उन्होंने देशवासियों से प्रकृति के साथ दैनिक संबंध बनाने के लिए कुछ पेड़ लगाकर और संकल्प करके इस 'पर्यावरण दिवस' पर प्रकृति की सेवा करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन ने जीवन को धीमा कर दिया है लेकिन इसने प्रकृति को ठीक से देखने का मौका दिया है और जंगली जानवरों ने अधिक बाहर आना शुरू कर दिया है।
प्रधानमंत्री ने अपना संबोधन यह कहते हुए समाप्त किया कि लापरवाह या भावुक होना एक विकल्प नहीं हो सकता। कोरोना के खिलाफ लड़ाई अभी भी समान रूप से गंभीर है!
***
एसजी/एएम/केपी/डीए
(रिलीज़ आईडी: 1628214) आगंतुक पटल : 156