रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)।
रायपुर के कालीबाड़ी चौक के पास स्थित एक फोटो कापी स्टेशनरी दुकान में रेलवे पुलिस ने मंगलवार को छापा मारकर अवैध रूप से ई टिकट बना रहे दुकानदार को रंगे हाथ पकड़ा। तलाशी के दौरान उसके कब्जे से 51 नग ई-टिकट बरामद किए गए। मामले में रेल अधिनियम के तहत अपराध कायम कर विवेचना की जा रही है। गौरतलब है कि नईदुनिया ने 18 अक्टूबर के अंक में छोटे टिकट दलालों को पकड़ रही रेलवे पुलिस, बड़े गिरफ्त से दूर शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इस खबर को रेलवे सुरक्षा बल के अफसरों ने गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
जानकारी...
more... के मुताबिक रेलवे पुलिस को लंबे समय से कालीबाड़ी चौक स्थित ताज जनरल स्टोर फोटो कापी स्टेशनी दुकान की आड़ में रेलवे का ई-टिकट बनाने की शिकायत मिल रही थी। मंडल सुरक्षा आयुक्त के निर्देश पर मंगलवार को उप निरीक्षक एसके शुक्ला के नेतृत्व में प्रधान आरक्षक अभिषेक कुमार, प्रधान आरक्षक एमएस पटेल, पीके गौराहा ने गांधीनगर वार्ड क्रमांक 41कालीबाड़ी चौक स्थित ताज जनरल स्टोर फोटोकापी स्टेशनरी में दबिश दी। मौके पर रेलवे का टिकट बनाते दुकान संचालक सैय्यद उमेर अली (32) को पकड़ा गया। तलाशी के दौरान उसके कब्जे से 51 नग ई-टिकट, एक सीपीयू, एक मोबाइल जब्त किया गया। पूछताछ में टिकट दलाल सैय्यद उमेर ने बताया कि चार अलग-अलग पर्सनल आइडी से वह ई-टिकट बनाकर यात्रियों को बेचता आ रहा था। जब्त किए गए टिकट की कीमत 23 हजार 648 रुपये बताई गई। रायपुर पोस्ट में आरोपित के खिलाफ रेल अधिनियम की धारा 143 के तहत केस दर्ज किया गया।
नकेल कसने में नाकाम
दरअसल दलालों पर नकेल कसने के लिए रेलवे प्रशासन ने तत्काल कोटे के समय को बदला, फिर भी इसका लाभ आम यात्रियों को नहीं मिल पा रहा था। यात्रियों की शिकायत थी कि एसी और स्लीपर कोच का कोटा शुरू होते ही मुख्य आरक्षण केंद्र में टिकट लेने आए जरूरतमंद यात्रियों को कम ही टिकट मिल पाता है और तत्काल कोटा शटडाउन हो जाता है। ऐसे में यात्रियों को सफर पर जाने के लिए दलालों को अधिक पैसे देकर टिकट लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
ऐसे हासिल करते हैं टिकट
टिकट दलाल एक आइडी का पंजीयन कराते हैं, फिर कई अलग-अलग आइडी से खुलेआम ई-टिकट का अवैध धंधा करते हैं। वहीं आम यात्री ई-टिकट खुद की आइडी से एक या दो टिकट बुक करने की कोशिश करता है, तब बार-बार सिस्टम हैंग हो जाता है। काफी कोशिश करने के बाद भी उसे टिकट नहीं मिल पाता और विवश होकर वह दलालों के चक्कर में जा फंसता है। इन दलालों के पास तत्काल से लेकर प्रीमियम टिकट सैकड़ों की संख्या में उपलब्ध होते हैं। गड़बड़झाला में रेलवे कर्मचारियों की मिलीभगत से इन्कार नहीं किया जा सकता।