नई दिल्ली. रेलवे अपने 'मिशन रफ्तार' के तहत डीजल इंजन से चलने वाली करीब 4000 ट्रेनों को हटाने जा रहा है। इनकी जगह हाई स्पीड वाली इलेक्ट्रिक ट्रेनें चलाई जाएंगी। इस पहल से रेलवे को 18 हजार करोड़ रुपए की बचत होगी। वहीं, रुरल और नॉन सबअर्बन एरिया में चलने वाली पैसेंजर्स ट्रेन की एवरेज स्पीड करीब 25kmph तक बढ़ जाएगी। रेलवे ने इसके लिए पांच साल का टारगेट फिक्स किया है। रेल मंत्री ने 2016 के बजट में किया था एलान...
- रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेलवे के...
more... ''मिशन रफ्तार'' का एलान 2016 के बजट में किया था। मेल टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे इसके तहत ट्रेनों की एवरेज स्पीड को डबल करना चाहता है। ऐसा करने से फ्यूल पर होने वाला खर्च बचेगा, वहीं एयर पॉल्यूशन भी कम होगा।
बढ़ेगी पैसेंजर्स ट्रेन की एवरेज स्पीड
- 'मिशन रफ्तार' के तरह रेलवे का टारगेट मालगाड़ियों की एवरेज स्पीड को भी डबल करना है।
- इसके अलावा 5 साल के भीतर रुरल और नॉन सबअर्बन एरिया में चलने वाली पैसेंजर्स ट्रेन की एवरेज स्पीड 25 kmph तक बढ़ाना है। अभी ऐसी पैसेंजर्स ट्रेन की एवरेज स्पीड 46.3 kmph है। जबकि मालगाड़ियों की एवरेज स्पीड 24.2 kmph है।
- ट्रेनों की एवरेज स्पीड बढ़ाने के इस एक्शन प्लान को लागू करने के लिए एक रेलवे बोर्ड बनाया गया है।
- इस प्लान के मुताबिक परंपरागत लोकोमोटिव ट्रेन और डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (डेमू) को मेन लाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (मेमू) में कन्वर्ट किया जाएगा।
रेलवे के बचेंगे 18 हजार करोड़
- रेलवे अफसरों के मुताबिक हर साल 1350 किलोमीटर रेल लाइन को इलेक्ट्रिफाइड किया जा रहा है।
- रेलवे के मुताबिक पूरे नेटवर्क का इलेक्ट्रिफिकेशन होने के दौरान ही धीरे-धीरे लोकोमोटिव डीजल इंजन का प्रोडक्शन बंद कर दिया जाएगा।
- अधिकारियों के मुताबिक ऐसा करके रेलवे को फ्यूल पर सालाना खर्च होने वाले 18 हजार करोड़ रुपए की बचत होगी। इसके अलावा मेनटेंस का खर्चा भी बचेगा।