महाप्रबंधक राजीव अग्रवाल के दिशा-निर्देश पर छानबीन में चेतावनी के साथ दूसरे मंडलों में भेजे गए चिह्न्ति रेलकर्मीयांत्रिक कारखाना में सात और अन्य विभागों के पकड़े गए थे 10 सूदखोर कर्मचारीवर्षो से फैला है रेलवे में सूदखोरी का जालजागरण इम्पैक्टजागरण संवाददाता, गोरखपुर : पूवरेत्तर रेलवे प्रशासन ने लंबे समय से सूद का कारोबार करने वाले 17 रेल कर्मचारियों का दूसरे मंडल में तबादला कर दिया है। हिदायत दी गई है कि यदि कोई कर्मचारी सूद का धंधा करते पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। महाप्रबंधक राजीव अग्रवाल के दिशा-निर्देश पर छानबीन में यह सभी कर्मचारी सूदखोरी में पकड़े गए हैं। जिसमें सात कर्मचारी सिर्फ यांत्रिक कारखाना के हैं। शेष 10 अन्य विभागों में तैनात हैं। तीन अप्रैल को रेलवे प्रेस में तैनात रेलकर्मी संजय कुमार यादव की जलकर मरने के बाद पूवरेत्तर रेलवे में सूदखोरी का मामला प्रकाश में आया। मृतक रेलकर्मी संजय के पुत्र ने आरोप...
more... लगाया कि कुछ लोगों ने उसके पिता को सूद पर पैसा दिया था और ब्याज के लिए दबाव बना रहे थे। उसके आरोप ने रेलवे प्रशासन के भी कान खड़े कर दिए। मामले को गंभीरता से लेते हुए महाप्रबंधक ने समस्त विभागाध्यक्षों और वरिष्ठ रेल अधिकारियों को पत्र लिखकर निगरानी बढ़ाने, कार्रवाई के साथ कर्मचारियों को जागरूक करने के लिए निर्देशित किया था। उन्होंने कहा है कि अगर कोई कर्मचारी संदिग्ध कार्यकलापों में संलिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।पूवरेत्तर रेलवे में सूदखोरी का मामला कोई नया नहीं है। रेलवे प्रेस ही नहीं रेलवे अस्पताल, यांत्रिक कारखाना, सिग्नल वर्कशॉप, कोआपरेटिव बैंक, लेखा विभाग के अलावा मुख्यालय के अन्य विभागों व कार्यालयों में भी कारोबारियों की सेंधमारी है। कुछ कारोबारी बाहरी हैं तो कुछ रेलकर्मी। कुछ बाहरी तो कर्मचारियों की मिलीभगत से इसे ही अपना मुख्य धंधा बना लिए हैं। यह कारोबारी रेलकर्मियों के माध्यम से ही रेलकर्मियों को पैसा देते हैं और उनसे मनमाने ढंग से व्याज वसूलते हैं। इस कारोबार में कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी और सदस्य भी शामिल हैं। कारोबारी कर्मचारियों के अलावा उसके परिजनों पर भी दबाव बनाते हैं। सूद के लिए कर्मचारियों के एटीएम कार्ड और पासबुक भी अपने कब्जे में रख लेते हैं। सूद के मामले में नब्बे के दशक में कुछ हत्याएं भी हुईं। कई बार गोलियां भी चलीं। लेकिन अंकुश नहीं लग पाया। 1 मामला प्रकाश में आने के बाद रेलवे प्रशासन गंभीर हुआ। साथ ही दैनिक जागरण ने भी चार अप्रैल के अंक में ‘रेलवे में फैला सूदखोरी का जाल’ और 14 अप्रैल के अंक में ‘रेलवे तोड़ेगा सूदखोरों का नेटवर्क’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। फिलहाल, रेलवे प्रशासन ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।