फतेहपुर। हिन्दुस्तान संवाद : अन्ना मवेशियों की चहलकदमी महज किसान ही नहीं बल्कि रेलवे के लिए भी परेशानी का सबब बनने लगी है। अन्ना मवेशी से होने वाली परेशानी को एक मामला कटोघन व कनवार के मध्य प्रकाश में आया। जहां बंद रेलवे फाटक से निकलते समय बूम उठ जाने से सिग्नल लाल होने पर नॉनस्टाप ट्रेन को रुकना पड़ा। अन्ना मवेशी के रेलवे लाइन पर आने से होने वाला यह कोई पहला मामला नहीं है इसके पहले भी अन्ना मवेशी से होने वाले हादसे से ट्रेन के चक्के जाम हो चुके है। कटोघन व कनवार रेलवे स्टेशन के मध्य स्थित रेलवे फाटक संख्या 34 पर गेटमैन शिवराज ड्यूटी पर तैनात थे। इसी बीच थ्रू ट्रेन लगी होने के चलते रेलवे फाटक को स्टेशन मास्टर द्वारा दी गई जानकारी के बाद गेटमैन द्वारा बंद किया गया। तभी बंद गेट से निकलने के चक्कर में एक सांड बूम के नीचे प्रवेश कर...
more... गया। जिससे बूम उठ गया, तथा हूटर बजने लगा इतना ही नहीं बूम के उठने के बाद सिग्नल भी लाल हो गए। इसी बीच अप लाइन से पास हो रही नॉनस्टाप ट्रेन लिच्छवी एक्सप्रेस को एक मिनट के लिए 20:22 बजे से 20:23 बजे तक रुकना पड़ा। हालांकि इस दौरान गेटमैन ने बूम को सुधार दिया जिसके बाद सिग्नल मिलने पर लिच्छवी गंतव्य के लिए रवाना हो सकी। अन्ना मवेशी की वजह से ट्रेन का चक्का जाम होने की यह कोई पहली घटना नहीं है बल्कि पूर्व में भी सीआरओ हो जाने के कारण सुपरसेमी ट्रेन वंदे भारत, प्रयागराज सहित अन्य ट्रेनों के चक्के भी जाम हो चुके है। अन्ना मवेशियों के रेलवे लाइन पर आने से रोकने पर रेलवे प्रशासन गंभीर नहीं दिखाई देता जिससे आए दिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिससे रेल कर्मियों की पोल खुल रही है।मालगाड़ी भी हो चुकी है बेपटरीरेलवे के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे बड़ी संख्या में अन्ना मवेशियों के कारण बड़ा हादसा होने की संभावनाएं भी बढ़ने लगी है। अभी हाल ही में मलवां व ब्लाक हट एलएल के मध्य मालगाड़ी मे सांड टकरा जाने के कारण टे्रन बेपटरी हो गई थी। जिससे दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग घंटो प्रभावित हो गया था, अन्ना मवेशियों के चलते कभी भी बड़ी घटना होने की संभावनाए भी बढ़ती जा रही है।अभियान के बावजूद नहीं दिखती गंभीरताआरपीएफ ने रेलवे लाइन के आसपास बसे गांव के ग्रामीणों को जागरुक करने के लिए पूर्व में अभियान चलाया था। जिसके तहत ग्रामीणों को अपने मवेशी रेलवे लाइन किनारे न चराए जाने की हिदायत दी जा चुकी है। इसके बावजूद लोगों द्वारा रेलवे लाइन किनारे के जंगलों में ही मवेशियों को चराया जाता है। साथ ही गेट पर तैनात कर्मी द्वारा सांड आ जाने के बाद गंभीरता नहीं बरती जाती जिससे हादसे हो जाते है।