Today (7:41AM) भिंड-इटावा ट्रैक शुरू करने में बस लॉबी का अड़ंगा (www.bhaskar.com)
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Posted by: SMILER
भिंड में 6 घंटे खड़ी रहती है ट्रेन, फिर भी इटावा के प्लान में नहीं
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more... रिपोर्टर| ग्वालियर
भिंड-इटावा ट्रैक पर करीब 1 वर्ष से मालगाड़ी प्रतिदिन संचालित हो रही हैं। इलाहाबाद बोर्ड के अफसर भी ट्रैक ठीक मान रहे हैं, फिर भी वर्ष 2015 में इस ट्रैक पर पैसेंजर गाड़ियां शुरू नहीं हो सकीं। वर्ष 2016 में कोटा-भिंड ट्रेन को इटावा तक बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार हुआ, वह भी आधा-अधूरा, क्योंकि भिंड-इंदौर इंटरसिटी एक्सप्रेस तीन दिन तक भिंड रेलवे स्टेशन पर 6 घंटे व्यर्थ में खड़ी रहती है, उसके संचालन पर रेलवे बोर्ड में कोई विचार नहीं किया गया। सूत्रों का कहना है कि भिंड-इटावा ट्रैक पूरी तरह से शुरू न करने के पीछे बस लॉबी काम कर रही है, जिससे कई राजनीतिक रसूख के लोगों के स्वार्थ जुड़े हुए हैं।
भिंड-इटावा ट्रैक बीते लगभग एक वर्ष से मालगाड़ी का संचालन किया जा रहा है। वर्तमान में प्रतिदिन अप-डाउन से 3-3 मालगाड़ी इस ट्रैक पर चल रही हैं। वर्ष 2014 दिसंबर में इसी ट्रैक पर सुशासन एक्सप्रेस के संचालन का प्लान तैयार किया गया था, लेकिन चंबल पुल के एक पिलर में दरार के मेंटेनेंस के चलते इसे दूसरे रास्ते से चलाया गया। उसके बाद ट्रैक का परीक्षण हुआ और पुल व पिलर के मेंटेनेंस के निर्देश दिए गए । बाद में मालगाड़ी भी शुरू कर दी गई, लेकिन यात्री ट्रेन के संचालन का प्लान बनाना अफसर भूल गए और एेसे भूले कि एक साल बाद भी याद नहीं आ रहा।
इंदौर-भिंड एक्सप्रेस सप्ताह में 3 दिन सुबह 10.30 से 11 के बजे के बीच भिंड पहुंच जाती है और इसके बाद शाम को 5.30 बजे के बाद ट्रेन ग्वालियर के लिए रवाना होती है। इस बीच ट्रेन लगभग 6 घंटे से अधिक समय तक भिंड स्टेशन पर खड़ी रहती है। इस दौरान ट्रेन को आराम से 2 से 3 घंटे में भिंड-इटावा के बीच संचालित किया जा सकता है। इटावा से सुबह के समय में ग्वालियर के लिए एक ट्रेन का संचालन भी आसानी से किया जा सकता है और इस ट्रेन को ट्रैफिक भी अच्छी स्थिति में मिल सकता है, फिर भी ट्रेन का संचालन शुरू नहीं किया जा रहा है।
सवारी ट्रेन के लिए सीआरएस का सर्टिफिकेट जरूरी
सवारी ट्रेन को नए ट्रैक पर चलाने के लिए सीआरएस के सर्टिफिकेट की जरूरत होती है। सीआरएस का परीक्षण हो चुका है और मालगाड़ी का संचालन भी हो रहा है। सर्टिफिकेट जारी हो चुका है तो लाइओवर(ट्रेन का रैक अनुपयोगी उपलब्ध है) रैक है तो ट्रेन को आसानी से चलाया जा सकता है। यदि नहीं चलाई जा रही है तो जोन में क्षेत्र के लिए दम से पैरवी की जरूरत है, वह नहीं हो पा रही है। डीके कुलश्रेष्ठ, सेवानिवृत्त एसएम