केंद्र ने रेल के गौरवशाली संस्था एससीआरए की बंद कर दी सांसें
By Publish Date:Sun, 12 Feb 2017 08:59 PM (IST) | Updated Date:Sun, 12 Feb 2017 08:59 PM (IST)
मुंगेर। 1862 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा जमालपुर रेल इंजन कारखाना की नींव रखी गई थी। इसके 25 साल बाद रेल में उत्कृष्ट सेवा के लिए 1888 ई. में इरिमी की शुरुआत सुपरवाइजर स्कूल के तौर पर की गई। 1927 में भारतीय रेल यांत्रिक एवं विद्युत अभियंत्रण संस्थान जमालपुर का स्वरूप मिला और एससीआरए (स्पेशल क्लास ऑफ अप्रेंटिंस)
प्रारंभ...
more... हुआ। इसका उद्देश्य मेधावी छात्र-छात्राओं को यूपीएससी द्वारा चयन कर रेलवे इंस्टीच्यूट में यांत्रिक इंजीनिय¨रग का कोर्स करने के बाद यांत्रिक इंजीनिय¨रग विभाग में उनकी स्थापना था। इस ट्रे¨नग संस्थान का सबसे अहम पहलू यह था कि अभियंत्रिक अध्ययन के साथ रेलवे वर्कशॉप जमालपुर व अन्य औद्योगिक इकाईयों में व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया जाना। शानदार उपलब्धि के बाद भी केंद्र सरकार ने 31 अगस्त 15 को बंद करने का निर्णय लेकर रेल की सांसें छीन ली।
सर्वविदित है कि जमालपुर में स्थापित एससीआरए संस्था बिहार के गौरवशाली परंपरा का वाहक है जो फिलवक्त अतीत बन गया है। अपने 90वें वर्ष के इतिहास में इस संस्था ने ऐसे उत्कृष्ट इंजीनियरों को बनाया, जिसने भारतीय रेल को दुनिया में स्थापित करने के साथ नोबेल पुरस्कार, पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पदम श्री से अलंकृत हो अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत को गौरवांवित किया। 13-14 फरवरी को मनाए जाने वाले एससीआरए डे पर रेल के कई पूर्व और वर्तमान अधिकारी के साथ, कई जोन के जीएम जुटेंगे। इसके मौजूदगी में मुख्य अतिथि सदस्य यांत्रिक होंगे। वर्षों से चलने वाली यह परंपरा का शायद यह अंतिम पड़ाव हो। इसने बिहार व साथ-साथ रेल को कई सदी तक संजोया है। अब यह सफर थम सा गया।
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नोबले पुरस्कार से अलंकृत होकर बढ़ाया है मान
- एससीआरए संस्था के 1938 बैच के केएल वेदी, 1941 के एसी चटर्जी, 1944 के पीसी लूथर, 1945 के एमएम सूटी को पदमश्री एवं 1958 बैच के डॉ. आर के पचौरी को पद्म भूषण, पदम विभूषण एवं विश्व का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार नोबेल पुरस्कार से अलंकृत किया गया।
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एक नजर इरमी के निदेशक की सूची पर :
- 1927 में भारतीय रेल यांत्रिक एवं विद्युत अंभियंत्रण संस्था ने जो सफर की शुरूवात की, उसमें 1988 तक 14 ¨प्रसिपल ने अपना सराहनीय योगदान दिया। बाद में ¨प्रसिपल निदेशक में बदल गए। 1991 से लेकर अगस्त 2015 तक में 14 निदेशक हुए। इसमें एसके गोडवोले सहित एके जैन, प्रदीप कुमार, अर¨वद माथुर, एके निगम, प्रदीप कुमार, कर्नल अरूण भागड़ा, कर्नल केपी राव, पंकज कुमार, बाबूलल गायकवार, संजय पाठक, मुकेश सहाय माथुर ने एससीआरए संस्था को एक आयाम एके गुप्ता व वर्तमान निदेशक गजानन मालया शामिल है।
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नोवेल व पद्मश्री जैसे कई सम्मान से नवाजे जा चुके इरमी के छात्र :
नाम बैच उपलब्धि
जीपी भल्ला 1930 बर्लिन ओलंपिक
केएल बेरी 1938 पद्मश्री
एसी चटर्जी 1941 पद्मश्री
पीसी लूथर 1944 पद्मश्री
एमएम सूरी 1945 पद्मश्री
एमएल खन्ना 1947 भीएसएम
पीएस चौधरी 1947 भीएसएम
आर रीबिरो 1954 सीओएएस कोमेंडेसन
एससी सिन्हा 1957 एमआइडी
आरके पचौरी 1958 पद्म भूषण, पद्म विभूषण, नोबेल शांति पुरस्कार
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एससीआरए समाप्त होते ही उठने लगी है विश्वविद्यालय की मांग
जमालपुर : केंद्र सरकार द्वारा एससीआरए समाप्त करने की घोषणा होने और प्रधानमंत्री द्वारा रेल में चार विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा के साथ ही जमालपुर में भी रेलवे विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग मुखर होने लगी है। जमालपुर रेल निर्माण कारखाना संघर्ष मोर्चा निरंतर विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर संघर्षरत है। मोर्चा के संयोजक समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष पप्पू यादव ने कहा कि लौहनगरी जमालपुर देश का सबसे पुराना स्थापित रेल नगरी है। यहां का वातावरण रेल विश्वविद्यालय खोले जाने को लेकर पूरी तरह अनुकूल है।