भाई समाचार जो भी हो, प्रतिक्रिया देखकर लगता है वर्तमान सरकार आने के बाद चरस बहुतः सस्ती हो गयी है , या फिर कुछ लोगों ने फोकटिया मजे लेने का मौलिक अधिकार समझ रखा था, कुछ लोगो को रेलवे को अपने पैरों पर खड़े होने से भी कोई लेना देना नहीं , एक मात्र यही मतलब राह गया है कि उनकी पसंद वाली सरकार क्यों नही है, ऐसे लोगों का क्या किया जा सकता है, मेरी नजर में वर्तमान सरकार देश आजाद होने के बाद सर्वाधिक कुशल और ईमानदारी से कम करने वाली सरकार है और हथेली पर रात भर में न् पेड़ उगा है और न उगेगा, लोगों के उनमंदि धार्मिक सपने ध्वस्त होने को रेलवे में रात दिन हो रहे कामों से क्यों जोड़ कर देखते हैं समझ मे नहीं आता । किसी को किराया देने से तकलीफ है, तो भी पैदल चले जाओ, गधा गाड़ी, भैसा गाड़ी, बैल...
more... गाड़ी या सुवर पर चढ़ कर चले जाओ , जहां सस्ता किराया हो वहां चले जाओ कोई जबरिया तो आपको रेल में नहीं ना बैठा रहा है, चौबीसों घंटे का रोना धोना अछि बात नहीं है, जब असली नरक काल से सामना होगा तो ऊपर नीचे से आवाज निकालनी ही बंद हो जाएगी पड़ना भी बंद हो जाएगा, सीरिया में देख रहे हो कि नहीं , चश्मा लगाकर ठीक से समाचार सुना करो, जन्नत काल होगा तो सीधे जन्नत में 72 हर की बाहों में होने से नरक में ही राह जाओ, जन्नत के मजे लेना है तो दो चार साल सऊदी रहकर देखो जितना भारत मे मुंह से हगते हो उसका 1 प्रतिशत भी जबान खोली तो सीधा जन्नत 72 हरों के आगोश में पाओगे अपने को, बर्दाश्त की भी कोई हद होती है जिस थाली में खाते है कुछ मेंबर उसी में हगते है जो कि अच्छी बात नहीं है,
एडमिन की जिम्मेदार बनाती है कि ऐसे मेंबर को नियंत्रण में रखे ।