इतनी ट्रेन होने के बावजूद बिहार की ट्रेने इतनी भरी हुई जाती हैं एक दो महीने से पहले टिकेट मिलने का कोई सवाल ही नहीं हैं इतनी स्पेसल ट्रेन चलने के बावजूद भी इतनी लम्बी वेटिंग लिस्ट मिलती हैं की पूछे मत . ऐसा कब तक चलेगा दशको से ऐसा ही चला आ रहा हैं . कितनी सरकारे आई और गई पर बिहार के बारे में किसी ने सोचा . कभी जा कर बिहार संपर्क क्रांति और वैशाली का हाल देखना उसमे आदमी , आदमी नहीं जानवर बन कर यात्रा करता हैं मतलब एक सीट पर १०-१२ यात्री बैठे रहते हैं वो भी आरक्षण में , जेनरल का तो पूछो ही मत . मतलब किराये में वृद्धि तो इतनी तेजी से करते जा रहे हैं पर हालत में जरा भी सुधार नही आता है . जितनी मर्जी तेजस और हमसफ़र चला ले पर जबतक आम आदमी उसको इस्तेमाल ना कर पाए...
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