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डकैती कांड में धाराओं से खेल गई जीआरपी
मंगलवार, 8 अप्रैल 2014
Etawah
Updated @ 5:30 AM IST
इटावा।...
more... संगम एक्सप्रेस डकैती कांड में डकैतों पर धाराएं लगाने में भी पुलिस कंजूसी कर गई। पचास मिनट तक ट्रेन को हाईजेक करके डकैतों ने किया बहुत कुछ, लेकिन मामला सिर्फ दो धाराओं में ही दर्ज हुआ। ट्रेन को हाईजैक करना, जान से मारने की नीयत से फायर करना और तीन यात्रियों को घायल करना, महिलाओं से बदसलूकी करना, एकराय होकर षड्यंत्र रचना समेत अन्य छोटी-बड़ी धाराएं तो पुलिस ने पकड़े गए डकैतों पर लगाई ही नहीं। जैसा कि अमर उजाला ने पहले ही आशंका जाहिर कर दी थी कि वारदात जिस अंदाज में हुई है पुलिस उसे उसी अंदाज में कतई नहीं दिखाएगी। वही हुआ भी।
कानून के जानकारों का मानना है कि जीआरपी यदि सही से कार्रवाई करती तो डकैतों पर कई अन्य संगीन धाराएं भी लग सकती थीं। इससे केस मजबूत होता। सोमवार की रात संगम एक्सप्रेस में पड़ी डकैती को ट्रेन में सवार मुसाफिर ताउम्र तक नहीं भुला पाएंगे। वारदात इतनी बड़ी थी कि ट्रेन में सवार यात्रियों पर पल-पल भारी पड़ा। बागपत के प्रतीक चौधरी ने तहरीर दी तो पुलिस ने मामला दर्ज किया। इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देने वालों पर जीआरपी ने डकैती के लिए सिर्फ आईपीसी की धारा 395, 397 (डकैती) के तहत ही मामला दर्ज किया। आप भी सोचिए कि 50 मिनट तक ट्रेन को हाईजैक करके आधा सैकड़ा यात्रियों के साथ मारपीट कर उन्हें लूटने, महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करने, युवती को ट्रेन से खींचने का प्रयास करने और तीन यात्रियों पर जान से मारने की नियत से फायर करने वालों पर क्या ये दो धाराएं पर्याप्त हैं। थाना पुलिस तर्क दे रही है कि धाराएं विवेचना के हिसाब से घटती और बढ़ती रहती हैं। यह सही है, लेकिन क्या यह जरूरी नहीं था कि इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देने वालों पर तत्काल ही संगीन धाराओं में कार्रवाई की जानी चाहिए थी।
अमूमन होता भी यही है कि पुलिस की कम धाराओं का फायदा अपराधी कोर्ट में मुकदमे के दौरान उठा लेते हैं और जमानत पर रिहा होने के बाद वह वारदातों को अंजाम देते हैं। अगर पुलिस पहले से ही मजबूत सबूतों के साथ पर्याप्त धाराओं में अपराधियों पर कार्रवाई करे तो उनका जेल से निकलना मुश्किल हो जाएगा। माना जा रहा है कि इस प्रकरण में भी पुलिस पर भारी दबाव था, इसी वजह से पकड़े गए दोनों आरोपियों पर और अधिक धाराएं नहीं लगाई गईं।
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यह धाराएं भी लगाई जा सकती थीं
पूर्व डीबीए अध्यक्ष चंद्रशेखर प्रसाद सिंह गौर के जेहन में संगम एक्सप्रेस डकैती कांड का पूरा मामला है। धाराओं को लेकर उनसे चर्चा की गई। अगर ट्रेन में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ हुई तो धारा 354 के तहत भी मामला दर्ज होना चाहिए था। निर्भया कांड के बाद धारा 354 को गैर जमानती बनाया गया है। तीन यात्रियाें को जान से मारने की नियत से गोली मारी गई, इसलिए धारा 307 भी लग सकती थी। वारदात की साजिश रचने के आरोप में धारा 120 बी के तहत कार्रवाई हो सकती है। इसके साथ ही अन्य कई संगीन धाराओं में पुलिस चाहती तो मामला दर्ज कर सकती थी। जैसे गिरफ्तारी के वक्त अवैध हथियार बरामद होने पर आर्म्स एक्ट के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है। ट्रेन हाईजैक करने का भी मामला बनता है।
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तहरीर के हिसाब से पर्याप्त धाराओं में कार्रवाई की गई है। अभी इस मामले की जांच चल रही है। विवेचना के हिसाब से भी धाराएं घट और बढ़ सकती हैं।-यशपाल सिंह यादव, एसओ (जीआरपी)