झज्जर का रेलवे स्टेशन जिस उम्मीद से शुरू हुआ था वहीं, अब रेलवे के लिए घाटे का सौदा बन गया है। सात साल पहले जिले में पहली बार रेल की सीटी बजी थी तो यह जिला भी आजादी के बाद पहली बार रेलवे सुविधा से जुड़ गया। अब 7 साल में यहां यात्री संख्या बढ़ने की बजाए हर साल कम हो रही है। पिछले साल की अपेक्षा इस साल रेवन्यू आधे से भी कम हो गया है। रेल प्रशासन भी मानता है कि रेलगाड़ियों के अभाव में रेलवे स्टेशन चलाना नुकसान देय बन गया है। 2 साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2018 में अगस्त में यहां साल भर में 11771 यात्री आए। इनकम के रूप में 38 लाख 55 हजार 50 रुपए का रेवेन्यू मिला।
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more... वर्ष 2019 की अगस्त माह की बात करें तो 7809 यात्री आए, जबकि रेवेन्यू 17 लाख 37 हजार 13 रुपए रहा। इसी प्रकार अप्रैल से अगस्त तक के दोनों साल के महीनों पर नजर डालें तो हर साल और हर महीने यात्रियों के साथ-साथ रेवन्यू भी कम हो रहा है। इसका कारण रेलवे स्टेशन पर यात्रियों का कम होना है। इसके अलावा जयपुर से चंडीगढ़ तक एकमात्र इंटरसिटी ट्रेन इस स्टेशन पर चल रही है। इसका भी समय बदलने के कारण अधिकांश यात्री कम हुए हैं। झज्जर स्टेशन पर इंटरसिटी का समय पहले शाम को 7 बजकर 18 मिनट पर जयपुर से चंडीगढ़ और 7 बजकर 20 मिनट पर चंडीगढ़ से जयपुर की ओर था। इस समय तक यात्री झज्जर के माहौल के हिसाब से स्टेशन पहुंच जाते थे, लेकिन अब दोनों ही गाड़ियों का समय रात 12 बजे के बाद हो गया है। इसलिए सबसे ज्यादा इसी गाड़ी से आने वाला रेवन्यू खत्म हो गया।
जिले में 7 साल पहले पहली बार रेल की बजी थी सीटी, उम्मीद से शुरू हुआ था स्टेशन, सुविधाओं की दरकार
2012 में जिले को मिला था झज्जर रेलवे स्टेशन
झज्जर में रेल की सीटी कांग्रेस कार्यकाल के दौरान जनवरी 2012 में पहली बार सुनाई दी थी। आजादी के बाद यह पहला मौका था, जब झज्जर को रेलवे ट्रैक से रोहतक और रेवाड़ी से जोड़ा गया। यह 75 किलोमीटर का ट्रैक है, जो सबसे पहले डीजल इंजन का था। बाद में इसका विद्युतीकरण किया गया।
लोग स्टेशन के बाहर वाहन छोड़ देते हैं : झज्जर रेलवे स्टेशन पर रेल की सीटी कम बजने का नतीजा ही है कि जहां रेलवे स्टेशन पर लोगों को कोई भी पब्लिक वाहन यात्रियों के इंतजार के लिए खड़ा नहीं मिलता। न तो यहां आॅटो हैं और न ही साइकिल रिक्शा। सुबह के समय जब भी कोई स्टेशन आता भी है तो उसे ग्वालिसन रोड पर ही है। लोग स्टेशन के बाहर अपने वाहन छोड़ देते हैं।
झज्जर रेलवे स्टेशन घाटे में चल रहा है। हर साल यात्री और रेवेन्यू कम हुआ है। इसका प्रमुख कारण यहां सवारी गाड़ी ज्यादा नहीं चलना है। एकमात्र इंटरसिटी का समय बदल जाना है। अगर इंटरसिटी का समय पहले की तरह भी हो जाए तो राजस्व में सुधार हो सकता है। -श्रीभगवान, अधीक्षक, रेलवे स्टेशन झज्जर।
झज्जर का रेलवे स्टेशन। मेन गेट के पास दिव्यांगों के लिए बन रहा रैंप।
रेवेन्यू नहीं, फिर भी जीएम के लिए सज रहा स्टेशन : झज्जर के रेलवे स्टेशन पर सवारी नहीं है। ट्रेनों का अभाव है। आने वाला रेवेन्यू खर्चे वहन करने लायक भी नहीं है। इसके बाद भी रेलवे जीएम के दौरे को देखते हुए झज्जर रेलवे स्टेशन पर कायाकल्प चल रहा है। प्लेटफॉर्म नंबर एक पर अतिरिक्त यात्री शेड बनाए गए हैं। प्रवेश गेट पर दिव्यांगों के लिए रैंप बन रहा है। सर्कुलेटिंग एरिया सुधारा जा रहा है।
सुबह 8 से शाम 6 बजे तक नहीं कोई ट्रेन, चलाने की मांग
झज्जर रेलवे स्टेशन पर सुबह 8 बजे से लेकर शाम को 6 बजे तक कोई भी सवारी ट्रेन या एक्सप्रेस ट्रेन की सुविधा यात्रियों के लिए नहीं है। सिर्फ माल गाड़ियों का ही आवागमन होता है। झज्जर शहर वासियों का कहना है कि अगर दोपहर के समय जींद, रेवाड़ी, रोहतक और सोनीपत जाने वाली सवारी गाड़ियों की सुविधा मिल जाए तो झज्जर रेलवे स्टेशन पर चहल-पहल काफी बढ़ जाएगी। रेवन्यू में भी काफी इजाफा होगा