जबलपुर. हाईकोर्ट ने रेल मंत्रालय, दपूम रेलवे व अन्य को नोटिस जारी कर पूछा है कि आदिवासियों की लाइफ लाइन कही जाने वाली हाऊबाग-नैनपुर नैरोगेज ट्रेन के बंद होने के बाद उस मार्ग पर परिवहन के वैकल्पिक इंतजाम क्या होंगे? इस ट्रैक पर हर रोज तकरीबन 15 हजार व्यक्ति यात्रा करते थे। एक जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद जस्टिस राजेन्द्र मेनन और जस्टिस सीवी सिरपुरकर की युगलपीठ ने उक्त निर्देश दिए।
यह याचिका हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्य बीआर विजयवार की ओर से दायर की गई है। आवेदक का कहना है कि वर्ष 1806 में स्थापित जबलपुर-नैनपुर के बीच चलने वाली नैरोगेज ट्रेन 5वीं अनुसूची वाले क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों के लिए लाइफ लाइन थी। विगत 1 अक्टूबर से...
more... यह ट्रेन बंद कर दी गई है। आवेदक का कहना है कि नैरोगेज के ब्राॅडगेज में तब्दील होने में अभी 6 से 8 वर्ष का समय लगेगा। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि वे नैरोगेज के ब्राॅडगेज में तब्दील होने के विरोधी नहीं हैं, लेकिन बिना सड़कें बनाए और परिवहन की वैकल्पिक व्यवस्था किए हजारों गरीबों की लाइफ लाइन को बंद किया जाना अवैधानिक और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 की मंशा के खिलाफ है।
मामले पर हुई प्रारंभिक सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्शमुनि त्रिवेदी ने कहा कि वैकल्पिक परिवहन व्यवस्था उपलब्ध न होने के कारण बालाघाट-नैनपुर नैरोगेज लाइन को अगले 6 माह तक बंद न करने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मांग पर लिया गया। उन्होंने कहा कि हाऊबाग-नैरोगेज बंद करने से पूर्व वैकल्पिक व्यवस्था की ओर ध्यान ही नहीं दिया गया। हालत यह है कि अत्यंत जर्जर सड़कों के कारण 37 बसों के परमिट जारी हुए, लेकिन सिर्फ 3 बसों के ही परमिट अब तक उठाए गए हैं। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मुकेश सुलाखे ने भी पक्ष रखा।पी-1