★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★ यात्रा वृत्रांत ★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★
नमस्कार।
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ये यात्रा शायद मेरे जीवन की यादगार यात्राओं में से एक है। ये यात्रा 21 मई 2013 की है जब मेरे पिताजी का तबादला सिलीगुड़ी से देहरादून हुआ।
ये...
more... यात्रा देहरादून तक थी पर महानंदा एक्सप्रेस के लेट होने की वजह से हमें ये यात्रा इटावा पे ही ख़त्म करनी पड़ी। 20 मई की रात को पीसी पैक करना था तो मैंने रात को पी एन आर चेक किया तो पता चला की मेरी सीट नंबर 10 है.
★★★★★★★★★★ यात्रा वाला दिन ★★★★★★★★★★
सुबह करीब नौ बजे हम स्टेशन के लिए रवाना हुए क्योकि न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन घर से दूर था तो हम सिलीगुड़ी जंक्शन पहुंचे। उस दिन मैंने ट्रेन का विलम्ब जानने के लिए गया तो उसमे कुछ पता नहीं चला और एन टी इ इस पर भी कुछ पता नह चला । उसके बाद हम लोग प्लेटफार्म नंबर एक पर सारा सामान रखा और पता लगने की कोशिश की की महानंदा कितनी लेट है पर तब भी कुछ पता नहीं लगा। उसके बाद मैने कैमरा ऑन किया और रैलफन्निंग पर लग गया प्लेटफार्म नंबर ३ पर सियालदह से अलीपुरद्वार जा रही कंचन कन्या कड़ी थी उसकी पिक्स ली उसके साथ बर्धमान का इंजन था.
कुछ देर बाद हम प्लेटफार्म नंबर तीन पर सामान लेकर बैठ गए अभी भी ट्रेन का कुछ पता नहीं था। कुछ देर बाद एक मालगाड़ी साबरमती के डब्लू डी जी चार के साथ पास हुई थोड़ी देर बाद कटिहार सिलीगुड़ी इंटरसिटी आई सिलीगुड़ी के डब्लू डी पी चार संख्या 20002 (बाज़) के साथ। स्टेशन पर इतनी भीड़ नहीं थी लेकिन दोपहर के समय दोनों कैपिटल एक्सप्रेस एक साथ आरही थी प्लेटफार्म नंबर 2 और तीन पर।
दोनों के जाने के बाद प्लेटफार्म खली हुआ. कुछ पैसेंजर ट्रेन आई गई. दोपहर को खूब रैल फैनिंग की उसके बाद जब ट्रेन नहीं आई तो हमने ये फैसला लिया की अब न्यू जलपाईगुड़ी ही चलना चाहिए। शाम को करीब साढ़े चार बजे बेलूरघाट पैसेंजर से न्यू जलपाईगुड़ी पहुंचे. उधर पहुंचते ही आनंद विहार जाने वाली नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस प्लेटफार्म नंबर तीन पर आई। वेटिंग रूम हॉउसफुल था तो हमें बहार ही बैठना पड़ा फिर थोड़ी देर बाद गुवाहाटी जा रही अवध असम एक्सप्रेस प्लेटफार्म नंबर एक पर आई. उसमे बहुत भीड़ थी। रात का समय हुआ दार्जिलिंग मेल के रवाना होने से पहले वेटिंग रूम में हमे जगह मिली। उसके चलने से पंद्रह मिनट पहले में इंजन के पास गया पर उस समय भरी वर्षा की वजह से फोटो नहीं ले सका। दार्जिलिंग मेल के रवाना होने के बाद पदातिक एक्सप्रेस प्लेटफार्म नंबर एक पर आई उसके इंजन के पास में गया और कुछ फोटो ली धीमी वर्षा में उसके बाद एक हैरान जनक घोषणा हुई की महानंदा एक्सप्रेस प्लेटफार्म नंबर एक पर आरही है कल वाली। उस दिन मुझे याद है उस दिन आई पी एल का पहला क्वालीफ़ायर था मैं बार बार बहार जाकर स्कोर देख रहा था। उस मैच में सुरेश रैना और माइकल हसी की जबरदस्त साझेदारी हुई थी वो मैच चेन्नई जीत गयी थी। थोड़ी देर बाद महानंदा एक्सप्रेस आई सिलीगुड़ी के डब्लू डी पी 4 के साथ हमने उसमे सीटें ढूंढने की कोशिश की लेकिन गर्मी के मौसम की मार की वजह से सीट नही मिली। गज़ब की बात ये थी की ब्रह्मपुत्र मेल प्लेटफार्म नंबर 3 पर महानंदा से पहले आई थी और उसके बाद गई। उसके बाद त्रिवेंद्रम गुवाहाटी एक्सप्रेस प्लेटफार्म नंबर 1A पर आई। रात को नींद नही आरही थी। उस समय में अनाउंसमेंट सुन सुन कर पाक गया। रात को में बस हावड़ा शताब्दी का इंतज़ार कर रहा था। फिर वो आई मेने उसके आगमन का वीडियो भी लिया। उसके बाद में कुछ देर सो गया उठने के बाद में फ्रेश हुआ उस समय शताब्दी जाने ही वाली थी उसके कुछ पिक्स लिए। ज़ूम करके फ़ोटो ली क्योकि बारिश हो रही थी इसलिए मैने ज़ूम करके ली। शताब्दी के जाने की थोड़ी देर बाद बारिश थम गई। सुबह सात बजे करीब ट्रेन का समय पता करने गया तब भी कुछ पता नही चला। उस समय कामरूप एक्सप्रेस आने का समय हुआ तब मैंने ब्रिज के ऊपर से फ़ोटो लीं। उसके बाद ब्रह्मपुत्र मेल आई प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर। उसके बाद मेरा थोडा मूड ख़राब हो गया और कैमरा बैग में रख दिया। लेकिन आँखों से सब देखा। सुबह नाश्ता किया उस समय कर्मभूमि एक्सप्रेस हॉर्न दे रही थी। सुबह सबसे अच्छा मुझे तब दार्जिलिंग मेल आई प्लेटफॉर्म नंबर 1A पर आई उसके ऐ सी कोच में थोड़ी उछल कूद की उसके बाद राजधानी के लिए उस प्लेटफॉर्म को खाली हुआ राजधानी के लिए में बहार गया वेटिंग रूम से और दोनों राजधानी आई गयी। बहुत अच्छा मौसम था उसके बाद थोड़ी नींद ली उसके बाद दिल्ली जाने वाली राजधानी में एक जानने वाले अंकल जा रहे थे तो कोच में गया। उसके बाद तो बस ये ही लगा की कब आयगी महानंदा कब आयगी उसके बाद में फिर सोगया। फिर रात को खाना खाया फिर महानंदा के आने का समय हुआ। सिक्किम महानंदा एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नंबर 3 पर आई सिलीगुड़ी के 20085 नंबर के साथ। ट्रेन पूरे छत्तीस घंटे लेट थी। उस दिन बी 2 कोच नही था लोगों ने विरोध किया फिर 1 घंटे के बाद ट्रेन चली। जब ट्रेन चली तो मुझे अच्छा नही लग रहा था क्योंकि में आखिरी बार न्यू जलपाईगुड़ी को देख रहा था। ट्रेन चली महानंदा नदी पार करते ही ट्रेन ने रफ्तार पकड़ ली उसके बाद सीधे पहले हालत पर रुकी जो था आलुयाबाड़ी रोड रुकी। अँधेरा होने की वजह से फोटो नही लेपाया। उसके बाद किशनगंज आया वह कुछ फोटो ली। उसके बाद में सो गया। सुबह जब आँख खुली तो मानसी जंक्शन आगया था उधर मैंने विडियो लिया उसके बाद में थोड़ी देर और में सो गया फिर में बरौनी से चलकर गंगा नदी का पुल आया मौसम थोडा अच्छा था फिर थोड़ी देर बाद बख्तियारपुर जंक्शन आया वह आउटर पर श्रमजीवी एक्सप्रेस खड़ी थी आयर हमारे स्टेशन पे आने के बाद श्रमजीवी एक्सप्रेस आई और हमसे पहले चली भी गयी उसके थोड़ी देर बाद राजगिर जाने वाली श्रमजीवी भी उसी प्लेटफार्म पर आई फिर महानंदा चली। पटना तक काफी अच्छी चली पर राजेंद्रनगर पर कड़ी रही यार्ड में सम्पूर्ण क्रांति खड़ी थी और कोटा एक्सप्रेस शंट हो रही थी और पटना जंक्शन पे ट्रेन पहुची। पटना पर हमारी गाड़ी प्लेटफार्म नंबर 3 पर थी दो पे पूर्व खड़ी थी उसके साथ गाजियाबाद का पी 4 था और प्लेटफार्म नंबर 4 पर राजेंद्रनगर लोक्मंयातिलक एक्सप्रेस चलने को खड़ी थी इटारसी के डीजल इंजन के साथ। पटना पे इंजन में बदलाव हुआ और हमारी ट्रेन के साथ इलेक्ट्रिक इंजन लगा मै इंजन के पास गया लोको था कानपुर पी 4 22547 मैंने उसकी फोटो भी ली जो की पोस्ट हो चुकी है। पटना से दानापुर तक ट्रेन ने 1 घंटा लिया फिर उसके बाद कुछ रफ़्तार पकड़ी। ट्रेन नये इंजन के साथ बिंदास चल रही थी। बक्सर,आरा, और दिलदारनगर पे ज्यादा समय न बर्बाद करते हुए सिर्फ 2 मिनट ही रुकी और फिर मुग़लसराय के पहले स्टेशन कुच्मन पर 15 मिनट रुकी। मुग़लसराय स्टेशन पर आते हुए का विडियो लेने गया पटना के बाद सीधे मुग़लसराय पर ही कोच से बहार निकला गेट खोलते ही ऐसा लगा की आग के शोले बरस रहे हो। हम मुगलसराय के प्लेटफार्म नंबर 4 पर थे प्लेटफार्म ३ पर एक स्पेशल ट्रेन थी। 10 मिनट बाद डिब्रूगढ़ से आने वाली ब्रह्मपुत्र मेल आई। उसके साथ भी वही इंजन था जो हमारे साथ पटना तक आया था सिलीगुड़ी का डब्लू डी पी 4 उसका आना हुआ और हमारा जाना। ब्रह्मपुत्र मेल का डीजल इंजन उससे अलग होगया था और गाजियाबाद पी 4 उसके साथ लगने को तयार था। आखिरकार चुनार जंक्शन पे हमारी ट्रेन लूप पे पधारी और ब्रह्मपुत्र मेल ने ओवरटेक कर दिया पर बीच में एक मालगाड़ी खड़ी थी तो मालगाड़ी के डिब्बो के बीच से ओवरटेक करती हुई ब्रह्मपुत्र मेल देखि उसकी थोडा देर बाद गुवाहाटी लोकमान्य टी तिलक एक्सप्रेस भी ओवरटेक कर गई। फिर उधर से चलने के बाद मिर्ज़ापुर पर 5 मिनट रुकी। गैपुरा स्टेशन पे मुख्या ट्रैक पर महानंदा 45 मिनट खड़ी रही। उसके बाद जिसका मुझे इंतजार था इलाहाबाद शहर में आगमन। नैनी पर आधे घंटे खड़े होने के बाद बाद यमुना नदी पार की और सीधे इलाहाबाद जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर ३ पर एंट्री मिली प्लेटफार्म नंबर २ पर शिवगंगा एक्सप्रेस खड़ी थी उसका इंजन चेंज हो रहा था और प्लेटफार्म नंबर 4 पर प्रताप एक्सप्रेस की आने की घोषणा हो रही थी। मुझे लगा शिवगंगा से पहले ये नही चलेगी पर महानंदा शिवगंगा से पहले चल्गाई। पर सुबेदारगंज पर आगे भी निकल गयी शिवगंगा उसके बाद में सो गया। उसके ठीक 2 घंटे बाद में उठा तो चंदारी पर खड़ी थी मतलब 2 घंटे में सुबेदारगंज से चंदारी। कानपुर सेंट्रल के प्लेटफार्म नंबर 1 पर जा रही थी और देख के काफी अच्छा लगा की 1 पर आई है। गोमती एक्सप्रेस उस दिन लेट थी तो वो प्लेटफार्म नंबर 7 पर खड़ी थी। महानंदा जोश में थी 10 मिनट में पनकी पार कर गयी उसके बाद मेरी आँख भरथना पर खुली। पापा ने बताया पटना राजधानी और एक दो ट्रेन के ओवरटेक की वजह से लेट हो गयी और। अवध एक्सप्रेस एक्दिल पर क्रॉस हुई हर अब हमारे उतरने का समय आया इटावा स्टेशन पे प्लेटफार्म नंबर 2 पर गई। प्लेटफार्म नंबर 3 पर संगम एक्सप्रेस खड़ी थी वो भी लेट थी फिर हमने सामान उतारा और आगरा पैसेंजर की वजह से महानंदा रुकी रही। पैसेंजर के जाने के बाद महानंदा भी चली गई। दिल्ली से आने वाली फर्रक्का 3 पर आरही थी और उचाहर 5 पर खड़ी थी सामान लेजाते वक्त तक हावड़ा और डिब्रूगढ़ राजधानी पास हो चुकी थी।
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धन्यवाद।
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#Atharva070025