रेलवे के इतिहास में पहली बार पटना से खुलनेवाली राजधानी एक्सप्रेस में 22 सांसदों को एसी फर्स्ट में जगह नहीं मिली. 27 सांसदों ने पटना से मंगलवार की शाम के लिए आरक्षण करवाया था.सांसद जब ट्रेन में चढ़े, तो उन्हें पता चला कि पांच को छोड़ 22 सांसदों की सीटें एसी फर्स्ट बोगी में नहीं हैं. इतना ही नहीं, अपनी सीट तलाश रहे सांसदों को नयी सीट व्यवस्था के बारे में कोई बतानेवाला भी मौजूद नहीं था. सांसद अपने साथ चल रहे लोगों के सहारे देर तक सीट तलाशते रहे.जिन 22 सांसदों को उनकी निर्धारित सीट पर जगह नहीं दी गयी, उनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह, रामकृपाल यादव, मीना सिंह, मोनाजिर हसन, कैप्टन जय नारायण निषाद, भूदेव चौधरी, उत्तर प्रदेश से आने वाले सांसद राधे मोहन सिंह और रामकिशुन जी भी शामिल हैं.रामकृपाल यादव को एसी फर्स्ट की जगह ए-5 बोगी में जगह दी गयी. आरा की जदयू...
more... सांसद मीना सिंह को सेकेंड एसी में और उनके साथ जानेवाले को थर्ड एसी में जगह दी गयी, जबकि नियमानुसार उन्हें एसी फर्स्ट में दो सीटें और सेकेंड एसी में एक सीट मिलनी चाहिए थी.सांसदों की नाराजगी इस बात से भी थी कि यदि उनकी जगह बदली गयी, तो इसकी सूचना रेलवे को पहले ही दे देनी चाहिए थी. इसके अलावा रेलवे को नयी कोच की व्यवस्था करनी चाहिए थी. यह भी नहीं किया गया.
रेलवे की इस सीट व्यवस्था से सांसदों के अलावा आम यात्री भी परेशान रहे. लालू प्रसाद के रेल मंत्रित्व काल में दूसरों के लिए सीट की व्यवस्था करनेवाले उनके पीएस विनोद श्रीवास्तव को कोई सीट नहीं मिली, तो उन्हें सपत्नी पैंट्री कार में खड़े ही दिल्ली रवाना होना पड़ा.
क्यों हुई समस्या
रेलवे अधिकारियों की मानें, तो पूर्व से ही रेलवे बोर्ड का आदेश है कि सीटों की संख्या को देखते हुए अतिरिक्त बोगी जोड़ने के संबंध में पांच दिन पूर्व ही निर्णय कर लिया जाना चाहिए. अब तक इस नियम का सख्ती से पालन नहीं किया जाता था और हर दिन वीआइपी कोटे को देखते हुए अतिरिक्त बोगी जोड़ दी जाती थी.
इधर, एक माह से रेलवे बोर्ड की सख्ती के कारण जोन नियमों का कड़ाई से पालन कर रहा है. ऐसे में जब पूर्व से अतिरिक्त बोगी का निर्धारण नहीं किया गया, तो यह समस्या हुई.