चन्द्रशेखर, पटना। गोरखपुर-नरकटियागंज-वाल्मीकिनगर रोड रेलवे लाइन के दोहरीकरण का कार्य तेजी से चल रहा है। दोहरीकरण के साथ ही इसके इलेक्ट्रिफिकेशन का काम भी होना है। दोनों कार्य साथ-साथ चल रहा है। इस रेलखंड को गोरखपुर से नरकटियागंज होते हुए वाल्मीकिनगर रोड होकर मुजफ्फरपुर तक मिलाने की योजना है। गोरखपुर से वाल्मीकिनगर तक के 100 किमी रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण का काम तेजी से चल रहा है।वाल्मीकिनगर से मुजफ्फरपुर के बीच रेलवे ट्रैक पर भी तेजी से काम चल रहा है।
लंबी दूरी की ट्रेनें 130 किमी प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ने लगेंगी
109.7 किमी सुगौली वाल्मीकिनगर रेललाइन के दोहरीकरण...
more... पर 1216 करोड़ एवं 100.6 किमी मुजफ्फरपुर सुगौली रेलखंड पर 1186 करोड़ की राशि खर्च होगी। इस रेलखंड को सकरी निर्मली एवं सहरसा फारबिसगंज रेलखंड के निर्माण पर 1470 करोड़ की राशि खर्च होगी। रेलवे बोर्ड से इसके लिए पर्याप्त राशि स्वीकृत कर दी गई है। सब कुछ ठीक रहा तो अगले वर्ष से इस रेलवे ट्रेक पर लंबी दूरी की ट्रेनें 130 किमी प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ने लगेंगी। मुजफ्फरपुर से वाया वाल्मीकिनगर गोरखपुर की दूरी 310 किमी है। जबकि वाल्मीकिनगर से मुजफ्फरपुर वाया सुगौली की दूरी 210 किमी है।
बिहार के नेपाल से सटे क्षेत्रों के लाखों लोगों को फायदा
इस रेलखंड के निर्माण का कार्य पूरा होने से गोरखपुर-कुशीनगर-महाराजगंज ही नहीं बिहार के नेपाल से सटे क्षेत्रों के लाखों लोगों को रेल यात्रा में काफी सहूलियत होने लगेगी। इस क्षेत्र के लोग सीधे नई दिल्ली, मुंबई व गुवाहाटी तक के यात्रा कर सकेंगे। उत्तर बिहार के लिए यह रेलखंड तीसरे विकल्प के रूप में काम करने लगेगा। इससे मालगाड़ियों के परिचालन में काफी आसानी हो जाएगी, जिसका फायदा इस क्षेत्र के व्यापारियों को मिलने लगेगा। अब गोरखपुर से इस रेलखंड से होकर सीधे हावड़ा, जयनगर, कटिहार, भागलपुर, न्यू जलपाई गुड़ी, गुवाहाटी समेत अन्य स्टेशनों तक सीधी ट्रेन सेवा शुरू हो जाएंगी। पर्यटन के दृष्टिकोण से अब काठमांडू व पोखरा जाने वालों को दार्जिलिंग, गंगटोक, नाथुला बोर्डर, गुवाहाटी, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश तक विकल्प मिल जाएगा। दूसरे देशों के पर्यटक भी नेपाल के रास्ते इस क्षेत्र से भारत के विभिन्न पर्यटन स्थलों तक आ सकते हैं।
तेजी से चल रहा दोहरीकरण का कार्य
गोरखपुर नरकटियागंज वाल्मीकिनगर सुगौली मुजफ्फरपुर रेलखंड के दोहरीकरण का काम काफी तेजी से चल रहा है। इस रेलखंड के निर्माण होने से उत्तर बिहार से तीसरे विकल्प के रूप में इस्तेमाल होने लगेगा। इससे बिहार, उत्तर प्रदेश के साथ ही पश्चिम बंगाल एवं पूर्वोत्तर भारत के लोगों को काफी फायदा होगा। अभी वर्तमान में उत्तर बिहार में अकेले लगभग 6000 करोड़ की रेल परियोजनाओं पर निर्माण कार्य चल रहा है। अभी कोशी रेल पुल का 1600 करोड़ का काम पूरा हो गया है। इन परियोजनाओं के पूरा होने पर इस क्षेत्र का चहुमुखी विकास होने लगेगा।
राजेश कुमार, मुख्य जन संपर्क अधिकारी, पूर्व मध्य रेल।