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जहां एक ओर लेख के शुरुआती भाग में अप्रैल में 200 मिलियन लोगों के इससे वंचित रहने का दावा किया गया है, वहीं लेख के उत्तरार्द्ध में बताया गया है कि यह आंकड़ा अप्रैल में केवल लगभग 64 मिलियन ही है जो कि विरोधाभासी है और यह विभिन्न राज्यों की जटिल एवं भिन्न वितरण प्रणाली की समझ की कमी को उजागर करता है।
मई माह के लिए पीएम-जीकेएवाई के तहत वितरण पहले ही 68 करोड़ लोगों के आंकड़े को छू चुका है, जबकि इस लेख में 65.5 करोड़ लोगों के आंकड़ों का...
more... दावा किया गया है, जो पुराना है। इसका अर्थ यह है कि निरंतर वितरण प्रक्रिया को ध्यान में नहीं रखा गया है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि आने वाले दिनों में और भी अधिक लोगों को कवर किया जाएगा। डीएफपीडी पारदर्शी तरीके से डेटा को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध करा रहा है और इसके साथ ही राज्यों से वितरण में तेजी लाने एवं सभी पात्र लाभार्थियों को कवर करने का आग्रह कर रहा है।
एनएफएसए (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम) के तहत लोगों की कवरेज (लगभग 81.3 करोड़) वैधानिक प्रावधानों और 2011 की जनगणना के तहत परिगणना पर आधारित है। हालांकि, कवरेज में संशोधन 2021 की जनगणना से जुड़ा है, जिसके तहत आंकड़ों को प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में चिन्हित व्यक्तियों की संख्या के आधार पर निर्धारित किया जाएगा। हालांकि, राज्य इस तरह के लोगों को कवर करने के लिए अपनी स्वयं की राशन कार्ड योजना चलाते हैं और आज एनएफएसए के अलावा 25 करोड़ से भी अधिक अतिरिक्त लोगों को कवर करने के लिए 6 करोड़ से ज्यादा राज्य राशन कार्ड मौजूद हैं।
जहां तक पीएम-जीकेएवाई के तहत दलहन के वितरण का सवाल है, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इसकी आपूर्ति के लिए उत्तरदायी एजेंसी नेफेड ने यह स्पष्ट किया है कि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों द्वारा निर्दिष्ट किए गए वितरण स्थानों पर स्टॉक उपलब्ध कराने में उसकी भूमिका सीमित है। जब स्टॉक प्राप्त होने के बारे में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा पुष्टि कर दी जाती है, तो आगे वितरण करने की जवाबदेही राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की मशीनरी की हो जाती है। राज्य सरकारें अपनी-अपनी वितरण योजनाओं के अनुसार प्राप्त दालों का वितरण कर रही हैं।
अब तक लगभग 88% दालों को 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भेज दिया गया है। तीन माह की आवश्यकता के लिए ढुलाई 26 राज्यों में पूरी हो चुकी है। 77% स्टॉक राज्यों को प्राप्त हो गया है।
आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत लगभग 63% साबुत चना राज्यों को भेज दिया गया है और भेजी गई कुल मात्रा का 64% राज्यों को कथित रूप से प्राप्त हो गया है। सटीक मांगपत्र न प्राप्त होने के कारण उपभोग करने वाले कुछ राज्यों को ढुलाई में देरी हुई। कुछ राज्यों ने एकल वितरण बिंदु को अब बहुल स्थानों में बदल दिया है, जबकि कुछ राज्यों ने अपनी आवश्यकता को संशोधित कर दिया है। इस तरह के बदलावों को समायोजित करने के लिए ढुलाई योजनाएं नए सिरे से तैयार की गईं जिससे ढुलाई में देरी हुई।
केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा घोषित पीएम-जीकेएवाई के तहत लाभार्थियों की कुल संख्या 80 करोड़ है। यह 19.55 करोड़ परिवारों के समतुल्य है, जिसके बारे में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा सूचित किया गया। अत: इस योजना के तहत वितरित की जाने वाली पसंदीदा दालों की कुल मासिक मात्रा लगभग 1.95 लाख मीट्रिक टन ही है, जबकि इस लेख में 2.36 लाख एमटी का उल्लेख किया गया है। नेफेड ने यह स्पष्ट किया है।
उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री रामविलास पासवान ने 13.04.2020 और 22.05.2020 को दो बार सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य मंत्रियों के साथ एनएफएसए और पीएम-जीकेएवाई के तहत खाद्यान्न वितरण की समीक्षा की है। मंत्री महोदय ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से यह भी आग्रह किया कि वे जरूरत के समय में आत्मनिर्भर भारत के तहत प्रवासियों को शीघ्र वितरण करें।
सचिव (खाद्य और सार्वजनिक वितरण) श्री सुधांशु पांडे ने भी अप्रैल और मई 2020 के दौरान तीन अवसरों पर सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एनएफएसए और पीएम-जीकेएवाई के तहत खाद्यान्न वितरण की समीक्षा की है। इसके अलावा, विभाग द्वारा सभी योजनाओं के तहत खाद्यान्न वितरण की दैनिक निगरानी की जा रही है और आंकड़ों/डेटा को पारदर्शी ढंग से साझा किया जा रहा है।
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एसजी/एएम/आरआरएस- 6647
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