2008 में बरौनी-गुवाहाटी बिजलीकरण योजना को िमली थी मंजूरी वर्ष 2010 में शुरू किया गया था िबजलीकरण का कार्य, वर्ष 2016 में कर लिया जाना था पूरा युद्ध स्तर पर िकया जा रहा कार्य बरौनी से कटिहार रूट पर मार्च से चलने लगेगी इलेक्ट्रिक इंजनचालित ट्रेन कटिहार : कटिहार रेल मंडल क्षेत्र में रेलवे बिजलीकरण युद्ध स्तर पर चल रहा है. संभावना जतायी जा रही है कि इसका कार्य मार्च माह में पूरा हो जायेगा. इसके बाद बिजली इंजन वाले ट्रेनों को ट्रायल के रूप में चलाने के बाद बरौनी से कटिहार के बीच बिजलीकरण से ट्रेनों का परिचालन शुरू कर दिया जायेगा. इस कार्य को तय समय में पूरा करने के लिए रेलवे के सभी पदाधिकारी जी जान से जुटे हैं. विभागीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने वर्ष 2008 में बरौनी से गुवाहाटी तक रेल बिजलीकरण परियोजना को मंजूरी दी थी. इसकी लागत आठ अरब,...
more... बत्तीस करोड़ की थी, जिसे वर्ष 2010 में रेल बिजलीकरण के कार्य संविदा के द्वारा विभिन्न कंपनियों के द्वारा शुरुआत की गयी. इसे वर्ष 2016 तक कार्य को समाप्त कर देना था. अबतक बरौनी से मानसी जंकशन तक ही बिजलीकरण का कार्य पूरा हो सका है. बाकी स्थानों पर कार्य पूरा करने के लिए युद्ध स्तर पर काम हो रहा है. कटिहार रेल यार्ड का कार्य अंतिम चरण में : कटिहार रेल यार्ड में रेल बिजलीकरण इकाई की ओर से चौबीसों घंटे जोर शोर से कार्य को निबटाया जा रहा है. अगले सप्ताह तक कटिहार रेल यार्ड का बिजलीकरण का कार्य पूर्ण होने की संभावना है, जिसे ट्रैक्शन सब स्टेशन से पचीस हजार वाल्ट लेकर चार्ज किया जायेगा. बरौनी से गुवाहाटी रेल बिजलीकरण परियोजना में पांच ट्रैक्शन सब स्टेशन कटिहार के गोशाला गेट के समीप, दलकोला, गंजरिया, रंगापानी एवं समसी में निर्माण कराया जा रहा है. जिसकी क्षमता एक लाख बत्तीस हजार वाल्ट है. कटिहार रेल यार्ड में काम करने में होती है परेशानी : विभागीय सूत्रों के अनुसार कटिहार रेल यार्ड भारत के दस कठिनतम यार्डों में से एक है. कटिहार स्टेशनों से रोजाना दर्जनों मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन होता है. जिससे ट्रेनों के गुजरने के वक्त काम को रोककर ट्रेनों को पास करने दिया जाता है. जिससे काम करने में रुकावट आती है. इसकी वजह से भी काम समय पर पूरा होगा इस पर संशय बना हुआ है. इलेक्ट्रिक इंजन के कई फायदे : इलेक्ट्रिक इंजन, डीजल इंजन के मुकाबले तेज गति से चलने के साथ-साथ इंजन के फैल होने की भी संभावना बहुत कम रहती है. इलेक्ट्रिक इंजन के रख रखाव एवं रनिंग कॉस्ट भी डीजल इंजन के मुकाबले काफी कम होता है. रेल बिजलीकरण कार्य पूरा होने से रेलवे को बरौनी से गुवाहाटी तक रेल परिचालन कराने में काफी कम खर्च हो जायेगा. बिजलीकरण का सपना अबतक नहीं हुआ है पूरा वर्ष 2008 में केंद्र सरकार ने बरौनी से गुवाहाटी तक बिजलीकरण की स्वीकृति दी थी, लेकिन वर्ष 2010 में रेल बिजलीकरण परियोजना का कार्य शुरू किया जा सका. यानी दो वर्ष का समय इसके चालू कराने में चला गया. वर्ष 2010 से काम अब तक चल ही रहा है. प्राप्त जानकारी के अनुसार रेल बिजलीकरण परियोजना का संविदा बरौनी से कटिहार गोशाला गेट तक लार्सन एवं टर्बो कंपनी को मिला है. जबकि कटिहार यार्ड से न्यू जलपाईगुड़ी तक हैदराबाद की कंपनी जॉइंट वेंचर को मिला है, जिसे अपने कार्य को सही समय पर निष्पादन नहीं करने पर रेल विभाग के द्वारा कई बार जवाब तलब भी किया गया है तथा आर्थिक दंड भी लगाया गया है. इसके बावजूद काम में देरी हो रही है. दिन-रात हो रहा काम जल्द हो जायेगा पूरा रेल बिजलीकरण का कार्य दिन रात काम कर जल्द पूरा करने की कोशिश में जुटे हैं. चार्जिंग व सीआरएस इंस्पेक्शन का कार्य अंतिम चरण में है. संभावना है कि इलेक्ट्रिक इंजन का परिचालन मार्च माह में बरौनी से कटिहार रूट में होने लगेगा. अनुज व्यास, उप मुख्य अभियंता