-डा. ओमप्रकाश खंडेलवाल, शिक्षाविद और समाजसेवी, पूर्व विभागाध्यक्ष भौतिकी विभाग पीजी कालेज बड़वानी
बड़वानी जिला दक्षिण में सतपुड़ा की सुरम्य वादियों से ढंका एवं उत्तर में मां नर्मदा नदी के किनारे बसा सुंदर शहर है। वर्तमान में जिले के वनवासी क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछ गया है। इससे संपर्क बेहतर हुआ है। बड़वानी बंधान, अंबापानी-सिलावद सड़क मार्ग व पाटी-बोकराटा-खेतिया मार्ग के निर्माण से महाराष्ट्र और गुजरात से संपर्क आसान हो गया है। अब बड़वानी से खेतिया की दूरी मात्र 68 किमी रह गई है। गुजरात के सूरत शहर एवं महाराष्ट्र के शाहदा, नंदूरबार, धुलिया के जुड़ने से व्यापार बढ़ने की संभावना है। इंदौर से सूरत की ओर जाने वाले वाहन ठीकरी से अंजड़ के नवनिर्मित राष्ट्रीय राजमार्ग से गुजरकर बड़वानी से...
more... पाटी-बोकराटा व खेतिया से सूरत जा सकेंगे। आने वाले समय में इस मार्ग पर परिवहन बढ़ने से युवा उद्यमियों को पर्याप्त अवसर मिलेंगे।
एक समय ऐसा था कि सतपुड़ा पहाड़ हरे-भरे थे। आज पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से ये पहाड़ हरियाली विहीन हो गए हैं। इसके कारण तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। पेड़ों की पुरानी प्रजातियों जैसे अंजन, कस्टार, खैर, नीम, देशी बबूल, शीशम इत्यादि प्रकार के पेड़ों को ही लगाकर उनकी सुरक्षा कर बड़वानी को निमाड़ का पेरिस बनाया जा सकता है। वर्तमान में भी जिले का बावनगजा, सिलावद, पाटी, बोकराटा क्षेत्र जड़ी-बूटियों से समृद्ध है। सतपुड़ा के जंगल में कालमेघ, अग्निशिखा, शरपुंखा, अपामार्ग, बिल्व, नीम, पलाश के संग्रहण और विक्रय से क्षेत्र के साथ-साथ प्रदेश व देश में जड़ी-बूटियां उपलब्ध कराई जा सकती हैं। इसलिए सतपुड़ा के जंगलों को हमें फिर से पौधारोपण व अन्य माध्यमों से हराभरा करने की आवश्यकता है।
अंग्रेजों ने भी मान ली थी रेल लाइन की मांग
निमाड़ और बड़वानी के विकास के लिए रेल लाइन अति आवश्यक है। पहले खंडवा से दाहोद रेल लाइन की मांग अंग्रेजों ने मान ली थी, किंतु 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मामला ठंडे बस्ते में चला गया। मेरे पिताजी ने बताया था कि वर्ष 1950 में बड़वानी, अंजड़ में तत्कालीन रेलमंत्री जगजीवनराम ने भी मांग मान ली थी। मैंने खंडवा से दाहोद रेल लाइन वाया खरगोन-बड़वानी के लिए उच्च न्यायालय में वर्ष 2008 में जनहित याचिका लगाई थी। यह अभी तक लंबित है। वर्तमान में क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने भी उक्त रेल मार्ग को स्वीकृति दिलाने के लिए विविध प्रयास किए हैं। रेल लाइन के अभाव में यह क्षेत्र हर बात में पिछड़ा हुआ है।
हमारे क्षेत्र में होने वाली उन्नात किस्म के फलों केला, पपीता, चीकू, अमरूद, सीताफल का निर्यात किया जा रहा है। यहां का कपास भी चीन और जापान के व्यापारियों द्वारा खरीदा जा रहा है। यदि रेललाइन के निर्माण कर दिया जाए तो जो विकास पिछले 70 वर्षों में नहीं हुआ, वह केवल पांच वर्षों में ही हो सकता है। इसलिए रेल लाइन अत्यंत जरूरी सेवा है।यहां पर सतपुड़ा की वादियों में बहते झरनों के आसपास पिकनिक स्पाट बनाकर एक बेहतर पर्यटन स्थल विकसित किया जा सकता है।यहां सतपुड़ा की वादियों को फिर हराभरा कर पर्यटन स्थलों को बेहतर किया जा सकता है, वहीं रेल लाइन के आने से विकास, व्यापार और उन्नाति की रफ्तार को बढ़ाया जा सकता है। ये दोनों ही इस क्षेत्र की महती आवश्यकताएं हैं। शहरीकरण की ओर तेजी से बढ़ते बड़वानी में रेल लाइन और पर्यटन विकास की जरूरत है।