ममता दी द्वारा हटाए गए मंत्री ने साफ़ कहा था की सरकारी रेल कहीं भी पैसा कमाने का साधन नहीं है (कुछ चुने अपवादों को छोड़ दें तो) इसको सब्सिडी देनी ही पड़ेगी यद्यपि समय समय पर भाड़े को तर्क संगत बनाना होगा. रेल से पैसा कमाने से भी ज्यादा अनेकों दूसरे लाभ हैं.
अब ये मंत्री जी न तो रेल की कमाई बढ़ा पाए, नाही यात्रियों की संख्या. भाड़ा भी बढ़ा तो ऐसा की आज कोई नहीं जानता की दरअसल सही भाड़ा और उसके स्लेब्स क्या हैं, यही हाल रद्दीकरण के मामले में है.
मर्ज़...
more... है की बढ़ता ही जा रहा है ज्यों ज्यों दवा की !