LHB तो अभी 15 साल से प्रचलन में आयी है , भारत मे 150 साल से रेल चल रही है उससे पहले दुर्घटना ही होती रहती थी क्या ? रेक अलॉट करने से पहले उसकी क्षमता के पूरे उपयोग के बारे में हिसाब लगाना पड़ता है , नए LHB की रेक को सप्ताह में 9000 KM दौड़ाना पड़ता है लागत वसूली के लिए ऐसे में 750 KM की UP और 750 KM की DN ट्रिप प्रतिदिन से कम के रूट पर नई रेक कैसे दी जा सकती है । विशेषज्ञ तो हम सभी रेल फैन हैं लेकिन रेलवे के अधिकारियों की समस्या ये है कि वो नियम से बाहर जाकर कोई काम कर नहीं सकते ।